केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 सितम्बर 2017 को 17 सरकारी छापाखानों (प्रिंटिंग प्रेस) का पांच इकाइयों में विलय करने का फैसला किया. इससे किसी की नौकरी को नुकसान नहीं पहुंचेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चालू छापाखानों के विलय और आधुनिकीकरण का फैसला किया गया.
ये सरकारी प्रेस दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, ओडिशा और कर्नाटक में स्थित हैं.
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मुख्य तथ्य:
सरकारी प्रेस वार्षिक केंद्रीय बजट, संसद सत्र के कागजात, सरकार के नीतिगत दस्तावेज, गुप्त और गोपनीय प्रकाशन जैसे परीक्षा पत्र, आयकर फार्म, पोस्टल फार्म व सरकारी विभागों व मंत्रालयों की वार्षिक रपटों की छपाई करते हैं. प्रेस के आधुनिकीकरण से उन्हें पूरे देश में केंद्र सरकार के कार्यालयों के गोपनीय, जरूरी और बहु रंगीन मुद्रण कार्य करने की सुविधा मिल जाएगी.
विलय के बाद पांच इकाइयों में से तीन दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, मिंटो रोड और मायापुरी में तथा महाराष्ट्र (नासिक) एवम पश्चिम बंगाल (कोलकाता) में एक-एक इकाई स्थित होगी. सरकारी खजाने पर इसकी लागत का शून्य बोझ आएगा.
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इन पांच प्रेसों का पुनर्विकास व आधुनिकीकरण इनकी पर्याप्त भूमि के मुद्रीकरण से किया जाएगा. दूसरे विलय होने वाले प्रेसों की 468.08 एकड़ जमीन लैंड और डेवलेपमेंट कार्यालय को दी जाएगी. गर्वमेंट ऑफ इंडिया बुक प्रेस (जीआईटीबीपी) की चंडीगढ़, भुवनेश्वर और मैसूर में 56.67 एकड़ जमीन संबंधित राज्य सरकारों को वापस की जाएगी.
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