केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दंतचिकित्सक (संशोधन) विधेयक, 2017 को संसद में पेश करने की स्वीकृति प्रदान की है. यह संशोधन विधेयक दंतचिकित्सक अधिनियम, 1948 (1948 के 16) में विधि निर्माण विभाग द्वारा आवश्यक संशोधन पर आधारित होगा.
दंतचिकित्सक (संशोधन) विधेयक, 2017 के माध्यम से कानून को सरल बनाया जाएगा. उससे अनावश्यक बातें दूर की जाएँगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
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जिन धाराओं को संशोधित किया गया है वे दंतचिकित्सक अधनियम, 1948 के प्रावधानों में निम्न खास संशोधनों से संबंधित हैं-
अनुच्छेद 3 के तहत धारा (एफ) के तहत भारतीय दंतचिकित्सक परिषद की सदस्यता के संदर्भित.
इस अधिनियम के अनुच्छेद 23 की धारा (बी) और अनुच्छेद 21 की धारा (बी) के तहत राज्य एवं संयुक्त राज्य दंतचिकित्सक परिषद की सदस्यता के संदर्भ में.
पृष्ठभूमि-
वर्तमान कानून के तहत भारतीय दंतचिकित्सक परिषद में केंद्र सरकार के नामित व्यक्ति के तौर पर पार्ट बी में पंजीकृत दंतचिकित्सकों का प्रतिनिधित्व और राज्य/ संयुक्त राज्य दंतचिकित्सा परिषदों में पार्ट बी से चार/ दो सदस्यों का चयन आवश्यक है.
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उनके प्रतिनिधित्व के प्रावधानों की बहुलता को घटाने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने इन बेकार प्रावधानों को खत्म करने का निर्णय लिया. ताकि उनका प्रतिनिधित्व आगे अनिवार्य न रह सके.
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