भारत की अक्षय ऊर्जा की क्षमता वर्ष 2022 तक करीब दोगुनी हो जाएगी और पहली बार इसका विस्तार यूरोपीय संघ से भी ज्यादा हो जाएगा. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईइए) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 तक भारत की अक्षय ऊर्जा की क्षमता दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी. स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र का यह विस्तार पहली बार यूरोपीय संघ को भी पीछे छोड़ देगा.
अक्षय ऊर्जा के बाजार के विश्लेषण और अनुमानों पर आईइए की इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत के अक्षय ऊर्जा की क्षमता में सोलर पीवी और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत होगी. सौर और पवन ऊर्जा की नीलामी में दोनों की कीमतें विश्व में सबसे नीचे आ गईं हैं.
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हाल में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश की नवीकरण ऊर्जा क्षमता 58.30 गीगावाट है. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना इसे वर्ष 2022 तक बढ़ाकर 175 गीगावाट करने की है, जिसमें से सौर ऊर्जा का योगदान 100 गीगावाट और पवन ऊर्जा का 60 गीगावाट होगा.
अक्षय ऊर्जा के बारे में:
ऊर्जा के वो प्राकृतिक स्रोत जिनका क्षय नहीं होता या जिनका नवीकरण होता रहता है और जो प्रदूषणकारी नहीं हैं, उन्हे अक्षय ऊर्जा के स्रोत कहा जाता है. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोमास, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं. अक्षय ऊर्जा स्रोत वर्ष पर्यन्त अबाध रूप से भारी मात्रा में उपलब्ध होने के साथ साथ सुरक्षित, स्वत: स्फूर्त व भरोसेमंद हैं. साथ ही इनका समान वितरण भी संभव है. भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस व लघु पनबिजली उत्पादक स्रोत हैं.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के बारे में:
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी वर्ष 1974 में स्थापित किए गए थे. इसका मुख्य उद्देश्य तेल की आपूर्ति में प्रमुख बाधाओं के सामूहिक प्रतिक्रिया का समन्वय कर मुख्य रूप से अपने 29 सदस्य देशों को विश्वसनीय, न्यायोचित और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करना है. आईईए के चार प्रमुख क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय जागरुकता और विश्व में ऊर्जा के प्रति वचनबद्धता हैं.
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