भारत ने स्वदेशी ग्लाइड बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इसका वजन 120 किग्रा है. यह स्मार्ट ऐंटी-एयरफील्ड वेपन 100 किमी के दायरे में बिल्कुल सटीक तरीके से टारगेट को निशाना बना सकता है.
ओडिशा के चांदीपुर में 03 नवम्बर 2017 को स्वदेश में विकसित इस हल्के 'ग्लाइड बम' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. स्मार्ट वेपन ग्लाइड बम का परिक्षण वायु सेना के एयरक्राफ्ट से किया गया.
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रक्षा मंत्रालय के अनुसार 'डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (डीआरडीओ/ DRDO) की रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई /RCI), अन्य लैब्स और भारतीय वायु सेना ने स्मार्ट ऐंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू/ SAAW) ने इसे तैयार किया है.
एयरक्राफ़्ट से निकले गाइडेड बम को सटीक नेविगेशन प्रणाली के माध्यम से गाइड किया गया. इस बम ने 70 किमी से भी ज्यादा दूर टारगेट्स को बिल्कुल सटीक तरीके से निशाना बनाया.
अलग-अलग रिलीज कंडिशंस और रेंज के साथ एसएएडब्ल्यू के तीन परीक्षण किए गए और सभी सफल रहे. डीआरडीओ के चेयरमैन एस. क्रिस्टोफर के अनुसार एसएएडब्ल्यू को जल्द ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा.
सितंबर 2013 में केंद्र सरकार ने स्मार्ट ऐंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू/SAAW) प्रॉजेक्ट को मंजूरी प्रदान की. पिछले साल मई में डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (DRDO) ने बंगलुरु में वायु सेना के जगुआर एयरक्राफ्ट से इस वेपन का पहला परीक्षण किया. दूसरा परीक्षण पिछले वर्ष दिसंबर में सु -30 एमकेआई (Su-30MKI) लड़ाकू विमान से किया गया.
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ग्लाइड बम की विशेषता-
ग्लाइड बम की सबसे विशेष बात यह है कि इसे टारगेट के ठीक ऊपर से दागने की जरूरत नहीं होती है. कुछ दूरी से ही यह बिल्कुल सटीक तरीके से दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है. ऐसे में अपने एयरक्राफ्ट के लिए खतरा कम हो जाता है. विश्व युद्ध में सबसे पहले इस तरह के बम का इस्तेमाल हुआ था लेकिन रिमोट कंट्रोल सिस्टम से इसे अब ज्यादा प्रभावी बना दिया गया है.
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