झारखंड कैबिनेट ने 1 अगस्त 2017 को धर्मांतरण विधेयक 2017 को मंजूरी दी. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया. अब सरकार इस बिल को विधानसभा में पेश करेगी.
मुख्य तथ्य:
• इस प्रारूप विधेयक में विधेयक के धारा-3 में बलपूर्वक धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया है.
• धारा 3 के उपबंध का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 3 वर्ष तक के कारावास या 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों से दंडनीय किया जा सकता है.
• यदि यह अपराध नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के प्रति किया गया है तो कारावास 4 वर्षों तक और जुर्माना एक लाख रुपये तक होगा.
• झारखंड में पूर्व में आदिवासियों और शोषितों के बड़े पैमाने पर प्रलोभन एवं जोरजबर्दस्ती से धर्म परिवर्तन का इतिहास रहा है जिसे देखते हुए ऐसे कानून की लंबे समय से आवश्यकता थी.
• प्रदेश महामंत्री सह मुख्यालय प्रभारी दीपक प्रकाश ने कहा कि इस विधेयक के आने से जबरन धर्मांतरण पर लगाम लगेगा. झारखंड में जबरन और प्रलोभन से भोले-भाले जनजाति परिवारों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ है.
• अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो वह ऐसा करने से पहले संबंधित जिला के उपायुक्त को अनिवार्य रूप से सूचना देगा.
• स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की सूचना सरकार को नहीं देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.
• तैयार प्रारूप के अनुसार, लालच देकर या जबरन धमका कर धर्म परिवर्तन कराने पर जेल की सजा के अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
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