जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 25 सितम्बर 2017 को देश में मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की. यह घोषणा ऐसे समय में की गयी है जब जापान और उत्तर कोरिया के संबंध असामान्य चल रहे हैं. गौरतलब है कि शिंजो आबे दिसंबर 2012 में सत्ता में आए थे. हाल के दिनों में उत्तर कोरिया के साथ तनातनी ने स्थानीय राजनीति को शिंजो के पक्ष में कर दिया है. उन्हें उम्मीद है कि कमजोर विपक्ष और उत्तर कोरिया पर कड़े रुख के कारण वे सत्ता में बने रहेंगे.
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जापान के आम चुनाव के पहले हुए ओपिनियन पोल में प्रधानमंत्री शिंजो आबे की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है. उनके पक्ष में यह स्थिति उत्तर कोरिया मुद्दे पर अबतक की उनकी प्रतिक्रिया से बनी है. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आबे ने कहा कि वे तत्काल जनादेश हासिल करने के लिए 28 सितम्बर 2017 को ही संसद के निचले सदन को भंग कर देंगे.
उल्लेखनीय है कि जापान में 48वें आम चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब शिंजो आबे और उनकी पत्नी से संबंधित भ्रष्टाचार के दो मामलों को लेकर उनकी सरकार विवादों में थी. कारोबारी दैनिक निक्केई की तरफ से सप्ताह के अंत में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 44 फीसदी मतदाताओं ने शिंजो आबे की रूढ़िवादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में मत करने का मन बनाया है. जबकि सिर्फ आठ फीसदी लोगों ने मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन किया है.
हालिया सर्वे बताते हैं कि देश के मतदाता उत्तर कोरिया को लेकर एबी के कड़े रुख का समर्थन करते हैं. उत्तर कोरिया ने सितम्बर 2017 में जापान के ऊपर से दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं और जापान को समुद्र में डुबोने की धमकी दी थी.
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