राष्ट्रपति ने दिवाला एवं दिवालियापन संहिता में संशोधन हेतु अध्यादेश को मंजूरी दी

अध्यादेश के जरिए दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 की धारा 2, 5, 25, 30, 35 एवं 240 में संशोधन किए गए हैं.

Nov 24, 2017, 10:59 IST
President approves Ordinance to amend the Insolvency and Bankruptcy
President approves Ordinance to amend the Insolvency and Bankruptcy

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 नवंबर 2017 को दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की. अध्यादेश का उद्देश्य अवांछनीय एवं बेईमान लोगों को उपर्युक्त संहिता के प्रावधानों का दुरुपयोग करने अथवा उन्हें निष्प्रभावी बनाने से रोकने के लिए आवश्यक हिफाजती इंतजाम करना है.

संशोधनों का उद्देश्य उन लोगों को इसके दायरे से बाहर रखना है जिन्होंने जानबूझकर डिफॉल्ट किया है अथवा जो फंसे कर्जों (एनपीए) से संबंधित हैं और जिन्हें नियमों का अनुपालन न करने की आदत है और इस तरह जिन्हें किसी कंपनी के दिवाला संबंधी विवादों के सफल समाधान में बाधक माना जाता है. भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) को भी अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं.

उपर्युक्त अध्यादेश के जरिए दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 की धारा 2, 5, 25, 30, 35 एवं 240 में संशोधन किए गए हैं और इसके साथ ही संहिता में 29ए तथा 235ए नामक नई धाराएं जोड़ी गई हैं.

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मुख्य संशोधन

•    संहिता की धारा 2 के अनुच्छेद (ई) को तीन अनुच्छेदों ने प्रतिस्थापित किया है. इससे व्यक्तियों एवं भागीदारी कंपनियों से संबंधित संहिता के भाग III को विभिन्न चरणों में शुरू करने में मदद मिलेगी.

•    संहिता की धारा 5 के अनुच्छेद (25) एवं (26), जो ‘समाधान संबंधी आवेदक’ को परिभाषित करते हैं, में संशोधन किया गया है, ताकि इस बारे में स्थिति स्पष्ट हो सके.

•    संहिता की धारा 25(2) (एच) में संशोधन किया गया है ताकि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) से मंजूरी मिलने के बाद समाधान संबंधी प्रोफेशनल अर्हता की शर्ते निर्दिष्ट कर सके और इसके साथ ही कॉरपोरेट कर्जदार के कारोबार के परिचालन स्तर एवं इसकी जटिलता को ध्यान में रखते हुए संभावित समाधान आवेदकों से समाधान योजनाएं आमंत्रित की जा सकें.


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•    यह भी प्रावधान किया गया है कि सीओसी ऐसी किसी भी समाधान योजना को नामंजूर कर देगी जिसे अध्यादेश जारी होने से पहले पेश किया गया है, लेकिन जिसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है.

•    ऐसे व्यक्ति की संपत्ति की बिक्री पर धारा 35(1) (एफ) में संशोधन के जरिए रोक लगा दी गई है जिन्हें धारा 29ए के तहत कोई भी समाधान योजना पेश करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया है.

•    संहिता की धारा 240, जिसमें आईबीबीआई द्वारा नियम-कायदे बनाने का अधिकार दिया गया है, में अनुवर्ती संशोधन किए गए हैं, ताकि धारा 25(2) (एच) और धारा 30(4) के तहत अधिकारों का नियमन किया जा सके.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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