भारतीय पहलवान संदीप तुलसी यादव पर राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के डोपिंग विरोधी अनुशासन समिति ने चार साल का प्रतिबंध लगा दिया है. नाडा के अनुशासनात्म पैनल (एडीडीपी) ने पिछले साल ( वर्ष 2016) डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण उनपर चार साल का बैन लगाया है.
पिछले साल रियो ओलंपिक से पहले नरसिंह यादव से साथ संदीप भी नाडा के डोप परीक्षण में नाकाम हो गये थे. ये परीक्षण पिछले साल 25 जून को किये गये थे. डोपिंग के कारण नरसिंह ओलंपिक में नहीं खेल पाये थे.
यह भी पढ़ें: भारतीय एथलीट प्रियंका पवार पर 8 साल का प्रतिबंध लगा
नाडा के अनुशासनात्मक पैनल (एडीडीपी) ने पिछले साल डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण उनपर चार साल का प्रतिबंध लगाया था. संदीप तुलसी यादव सोनीपत के रहने वाले हैं. उनके सैंपल में भी प्रतिबंधित मेथेंडाइन नाम का स्टेरॉयड मिला है. संदीप तुलसी यादव काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं. संदीप तुलसी यादव ने सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप-2013 में कांस्य पदक जीता था.
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के बारे में:
• नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के तहत स्वायत्त ईकाई है, जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है.
• भारत विश्व डोपिंग निरोधक आचार संहिता को लेकर प्रतिबद्ध है और प्रक्रिया का पालन करता है.
• सरकार नाडा के काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है.
• नाडा, वाडा के अंतर्गत काम करती है. वाडा का काम डोपिंग को चेक करना है. इसी मामलों में अंतिम फैसला वाडा ही करती है.
• खिलाड़ी को यहां पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है.
फर्राटा धावक धरमबीर सिंह पर नाडा ने आठ साल का प्रतिबंध लगाया
Comments
All Comments (0)
Join the conversation