वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे घातक, संक्रामक क्षय रोग (टीबी) के खिलाफ एक प्रभावशाली टीका विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज की. अनुसंधानकर्ताओं ने अनुसार टीबी के कारण प्रति वर्ष विश्वभर में अनुमानित 17 लाख लोगों की मौत हो जाती है. किसी अन्य संक्रमण की तुलना में टीबी के कारण मरने वालों लोगों के इन आकड़ों की संख्या सर्वाधिक है.
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संक्रामक क्षय रोग (टीबी) पर एंटीबायोटिक्स का असर समाप्त होता जा रहा है, वैश्विक स्तर पर 20 वर्षों के लगातार प्रयासों के बावजूद कोई प्रभावशाली टीका भी विकसित नहीं हो पाया.
वैज्ञानिकों ने हाल ही में संक्रमण से लड़ने हेतु आवश्यक परंपरागत मानवीय टी कोशिका की माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस (एमटीबी) में पाए जाने वाले प्रोटीन के अंशों पर प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया.
इंग्लैंड में साउथैम्पटन और बांगोर विश्वविद्यालयों के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार विशेष प्रकार के लिपिड अन्य ‘गैरपरंपरागत’ प्रकारों की टी कोशिकाओं की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सकते हैं.
टी कोशिका -
टी कोशिका श्वेत रक्त कोशिका है और एमटीबी वह जीवाणु है जिसके कारण मानव शारीर टीबी उत्पन्न होता है.
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पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार टीम ने दिखाया कि लिपिड के समूह, जिन्हें माइकोलिक एसिड कहा जाता है वे प्रतिरोधी प्रतिक्रिया तय करने में अहम हो सकते हैं. ये एसिड एमटीबी कोशिका के अहम घटक हैं.
साउथैम्पटन विश्वविद्यालय के सालाह मंसौर के अनुसार, ‘‘यह टीबी के मरीजों के लिए संभावित चिकित्सकीय प्रभावों के संबंधों में उत्साहित करने वाली खोज है’’ उन्होंने कहा कि इससे टीका विकसित किया जा सकता है.
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