अमेरिका के तीन खगोलविज्ञानियों को भौतिकी का नोबेल प्रदान करने की घोषणा की गई. इन तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों में बैरी बैरिश, किप थोर्ने और रेनर वेस हैं इनको गुरत्व तरंगों की खोज हेतु वर्ष 2017 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. इन वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की टक्कर से तरंगों का पता लगाया.
इन तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों की यह खोज गहन ब्रह्मांड के दरवाजे खोलती है. अलबर्ट आइंस्टीन ने करीब एक सदी पूर्व सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के तहत गुरत्व तरंगों का अनुमान लगाया. वर्ष 2015 में ही इस बात का पता लगा कि ये तरंगे अंतरिक्ष-समय में विद्यमान हैं.
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ब्लैक होल के टकराने या तारों के केंद्र के विखंडन से यह प्रक्रिया होती है. नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन करने वाली स्वीडिश रॉयल अकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रमुख जी के हनसॉन के अनुसार उनकी खोज ने दुनिया को हिला दिया. उन्होंने सितंबर 2015 में यह खोज की. और फरवरी 2016 में इसकी घोषणा.
दशकों के वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह ऐतिहासिक खोज हुई. थोर्ने और वेस ने प्रतिष्ठित कैलिफॉर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में संयुक्त रूप से लेजर इंटरफियरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेब ऑब्जर्वेटरी (लीगो) बनाया. इसके बाद बैरिश ने परियोजना को अंतिम रूप प्रदान किया.
इस संस्थान को वर्ष 1901 में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत के बाद से 18 बार ये प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है. लगभग 1.3 अरब प्रकाशवर्ष दूर हुए घटनाक्रम के परिणामस्वरुप पहली बार गुरत्व तरंगों का प्रत्यक्ष प्रमाण मिला.
अकादमी के अनुसार पृथ्वी पर जब सिग्नल पहुंचा तो बहुत कमजोर था लेकिन खगोलविज्ञान में यह बहुत महत्वपूर्ण क्रांति है. गुरत्व तरंगें अंतरिक्ष में सबसे प्रचंड घटनाक्रमों पर नजर रखने और हमारे ज्ञान की सीमाओं को परखने का पूरी तरह नया तरीका हैं.
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ब्लैक होल से कोई प्रकाश नहीं निकलता इसलिए उनका पता केवल गुरत्व तरंगों से ही लगाया जा सकता है. वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार के तहत 90 लाख स्वीडिश क्रोनर यानी करीब 11 लाख डॉलर (करीब 7.20 करोड़ रुपये) की राशि प्रदान की जाएगी.
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