14 नवंबर: विश्व मधुमेह दिवस
विश्व मधुमेह दिवस विश्वभर में 14 नवंबर 2017 को मनाया गया. इस दिवस का विषय: महिलाओं और मधुमेह – एक स्वस्थ भविष्य के लिए हमारा अधिकार. प्रतिवर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मधुमेह के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है.
भारत में वर्ष 2030 तक मधुमेह रोगियों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाने का अनुमान है. देश में जागरूक लोगों में भी बहुत कम व्यक्ति समय से मधुमेह को लेकर चिकित्सा जांच करवाते हैं. उम्र के साथ होने वाले इस रोग से बचाव के लिए शुरू से चिकित्सा जांच जरूरी है.
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विश्व मधुमेह दिवस:
• फ्रेडरिक बेटिंग के योगदान को याद रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ द्वारा 14 नवंबर को दुनिया के 140 देशों में मधुमेह दिवस मनाया जाता है.
• दिसंबर 2006 में मधुमेह को संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में शामिल किया गया था.
• पहला विश्व मधुमेह दिवस वर्ष 1991 में मनाया गया था.
• निरन्तर मधुमेह रोगियों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए वर्ष 1991 में अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त रूप से इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु प्रति वर्ष विश्व मधुमेह दिवस आयोजित करने का विचार किया था.
मधुमेह के बारे में:
मधुमेह शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है. रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं. धमनियों में बदलाव होते हैं. इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है. मधुमेह एक जानलेवा बीमारी है, और स्वास्थ्य संबंधी अन्य तमाम बीमारियों से जुड़ी हुई है.
मधुमेह होने का कारण:
भारतीय युवाओं में खान-पान की गलत आदतें, धूम्रपान की लत और अस्वस्थ जीवनशैली मधुमेह की आशंका को बढ़ाती है. मोटापा इसमें समस्या और बढ़ा देता है. ऐसे में स्वस्थ जीवनशैली और मोटापे से दूर रहकर मधुमेह जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मधुमेह एशिया की बड़ी सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है, एशियाई सबसे अधिक मात्रा में मधुमेह का शिकार हो रहे हैं.
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