झारखंड के इंजीनियरिंग संस्थानों को वर्ष 2012 में भी छात्र नहीं मिल रहे हैं. दो-दो काउंसलिंग के बावजूद राज्य के संस्थानों में 800 सीटें रिक्त पड़ी हैं, जबकि दूसरी काउंसलिंग में 40 हजार रैंक तक के छात्रों को बुलाया गया था. इनमें कुछ सरकारी संस्थान भी हैं. सीटें भरने को सरकार हाथ-पांव मार रही है. अब ओपेन काउंसलिंग बुलाने का निर्णय लिया गया है. अर्थात जो छात्र झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद द्वारा इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए ली गई परीक्षा में मात्र शामिल हुए हों, वे भी इसमें भाग ले सकेंगे. परीक्षार्थी चाहे एक भी प्रश्न सही हल क्यों नहीं कर पाए हों. चाहे उन्हें ऋणात्मक अंक ही क्यों न मिला हो. यदि सीटें नहीं भरीं तो वह भी नामांकन का हकदार होंगे.
सरकारी संस्थानों की सीटें भरने में सबसे खराब स्थिति विनोबा भावे विश्र्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की है. दो काउंसलिंग के बाद इस संस्थान में 117 सीटें खाली रह गई हैं. बीआइटी सिंदरी में भी 08 सीटें खाली हैं. शेष सभी रिक्त सीटें निजी कॉलेजों की हैं.
झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद ने 800 सीटों को भरने के लिए दो दिनों तक ओपेन काउंसलिंग बुलाई है. पहली ओपेन काउंसलिंग 3 अक्टूबर 2012 को होगी, जिसमें रैंक एक से 20 हजार के अभ्यर्थी भाग ले सकेंगे. दूसरी काउंसलिंग 4 अक्टूबर 2012 को होगी, जिसमें 20001 से अंतिम रैंक 40518 तक के अभ्यर्थी भाग ले सकेंगे.
विदित हो कि वर्ष 2011 में भी कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें खाली रह गई थीं.
झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने मात्र से मिलेगा प्रवेश
झारखंड के इंजीनियरिंग संस्थानों को वर्ष 2012 में भी छात्र नहीं मिल रहे हैं. दो-दो काउंसलिंग के बावजूद राज्य के संस्थानों में 800 सीटें रिक्त पड़ी हैं, जबकि दूसरी काउंसलिंग में 40 हजार रैंक तक के छात्रों को बुलाया गया था.
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