केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री ने 15 मई 2015 को राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम की शुरुआत की.
इंटीग्रेटेड डेटा कलेक्शन सिस्टम नाम की यह प्रणाली एक वाहन से जुड़ी होती है, जिसे सड़क पर चलाकर निर्माण की गुणवत्ता का सटीक आकलन किया जा सकता है.
इन आंकड़ों को वेब आधारित एप्लीकेशन के जरिये स्टोर किया जा सकता है. पूरी तरह विकसित होने के बाद इस एप्लीकेशन को स्मार्ट फोन के जरिये एक्सेस करना संभव होगा.
इस प्रकार एकत्र की गई सूचना परिवहन व वित्त मंत्रालय के अलावा एनएचएआइ, राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभागों, पुलिस, बैंकों व वित्तीय संस्थानों, सड़क निर्माता कंपनियों तथा आम नागरिकों के लिए भी उपयोगी साबित होगी.
इस साफ्टवेयर को स्वदेशी उपग्रह "भुवन" की तस्वीरों के साथ एकीकृत करके देश के किसी भी राजमार्ग के किसी भी हिस्से में सड़क की गुणवत्ता की रियल टाइम जांच के परिणाम पोर्टल पर जाने जा सकेंगे.
इस प्रणाली के वाहन में तीन कैमरे लगे हैं. अगल-बगल के दो कैमरे फुटपाथ या पटरी की तस्वीर लेते हैं, जबकि बीच का कैमरा सड़क की तस्वीर लेता है. इसमें 15 अत्याधुनिक लेजर लगे हैं. यह जीपीएस व "गगन" उपग्रह से जुड़ा है. इन आंकड़ों के आधार पर न केवल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की वैज्ञानिक व सटीक योजना बनाई जा सकेगी, बल्कि सड़क सुरक्षा के उपाय भी सुनिश्चित किए जा सकेंगे.
रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत पहल का एक हिस्सा है.
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