केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम देश के सभी राज्यों में अप्रैल 2016 तक लागू करने की 21 जनवरी 2016 को घोषणा की. केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने नई दिल्ली में इसकी घोषणा की.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो गेहूं और 3 रुपए प्रति किलो चावल देने वाले राज्यों की संख्या पिछले वर्ष 11 से बढ़कर 25 हो गई थी. अभी तक देश भर में 97 प्रतिशत राशन कार्डों का डिजिटीकरण किया जा चुका है.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन से संबंधित मुख्य तथ्य:
• वर्ष 2015 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) लागू करने वाले राज्यों की संख्या 11 से बढ़कर 25 हो गई.
• लीकेज और डायवर्जन को रोकने के लिए और खाद्य सब्सिडी का लाभार्थियों को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण करने के लिए भारत सरकार ने ‘खाद्य सब्सिडी का प्रत्यक्ष हस्तांतरण नियम, 2015 को 21 अगस्त 2015 को एनएफएसए के तहत अधिसूचित किया.
• इन नियमों के तहत डीबीटी योजना संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की सहमति से लागू की जाएगी. इस योजना के तहत खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगी. वह बाजार में कहीं से भी खाद्यान्न खरीदने के लिए स्वतंत्र होगा. यह योजना सितंबर 2015 में चंडीगढ़ एवं पुड्डुचेरी में लागू की जा चुकी है.
• केंद्र सरकार ने खाद्यान्न के रखरखाव और ढुलाई की लागत का 50 प्रतिशत (पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के मामले में 75%) राज्यों एवं डीलरों के मार्जिन से साझा करने का फैसला किया है. इसे लाभार्थियों के ऊपर नहीं डाला जाएगा और उन्हें मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो, गेहूं दो रुपये प्रति किलो और चावल तीन रुपये प्रति किलो की दर से मिलता रहेगा.
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को उनकी हकदारी का खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिए खाद्यान्न की आपूर्ति न होने के स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में अधिसूचित किया गया है.
• समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने के लिए और गरीबों के लिए ‘अन्यज कल्याणकारी योजनाओं’ को बेहतर ढंग से लक्षित करने के लिए उपभोक्ताे मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों की समिति ने न सिर्फ अन्यअ कल्या्णकारी योजनाओं के लिए अनाज का आवंटन जारी रखने, बल्कि उन्हें योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली दालों- दूध और अंडे आदि जैसी पोषण संबंधी सहायता करने की सिफारिश की है.
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