जापान और अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (आईआरआरआई) के शोधकर्ताओं ने “स्पाइक” नामक जीन की खोज की. यह जीन बासमती सहित इंडिका चावल किस्मों (धान) के उत्पादन को 13 से 36 प्रतिशत तक बढ़ाता है. “स्पाइक” जीन के खोज संबंधी जानकारी 2 दिसंबर 2013 को दी गई.
प्राथमिक जांच में जापान और अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (आईआरआरआई) के शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘स्पाइक’जीन को शामिल करने से आधुनिक लंबे अनाज चावल (धान) की उपज को 36 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है.
जापान के फसल विज्ञान संस्थान-राष्ट्रीय कृषि एवं खाद्य शोध संगठन (National Agriculture and Food Research Organization) के धान ब्रीडर डॉ. नोबुया कोबायाशी ने कहा कि हमने स्पाइक जीन को इंडोनेशियन ट्रापिकल जेपोनिका धान किस्म में खोज निकाला है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि धान की ब्रीडिंग में ‘स्पाइक’ का प्रयोग दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में इंडिका उगाने वाले क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में योगदान कर सकता है.
अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान
अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (International Rice Research Institute, आईआरआरआई) का गठन वर्ष 1959 में हुआ था. एक अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संगठन है. इसका मुख्यालय फिलीपींस के लॉस बनोस, लागुना (Los Banos, Laguna) में है.
विदित हो कि भारत और थाइलैंड सहित दक्षिणी एशिया में उत्पादित होने वाले अधिकांश चावल की किस्म इंडिका चावल हैं.
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