आंध्र प्रदेश के 10 जिलों को अलग तेलंगाना राज्य के रूप में मान्यता देने की मांग को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन व इसके सबसे प्रमुख घटक दल कांग्रेस ने मंजूरी प्रदान की. यूपीए तथा काग्रेस कार्यसमिति की ओर से 30 जुलाई 2013 को मंजूरी प्रदान की गयी. तेलंगाना राज्य के गठन की मांग पिछले 57 वर्षों से भी अधिक समय से होती रही है.
आंध्र प्रदेश के 10 जिलों को समाहित करके तेलंगाना राज्य बनाने की मांग इसलिए की जाती रही क्योंकि इन जिलों की आर्थिक स्थिति अन्य जिलों से काफी भिन्न है. ये जिले आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं जिसका सबसे प्रमुख कारण है कि 1844 में अंग्रेज इंजीनियर आर्थर कॉटन की सिफारिश पर 1850 में राजामुंदरी जिले में बनाए गए बांध के कारण तटीय जिलों की कृषि में काफी सुधार हुआ. तटीय जिलों की कृषि में परंपरागत फसलों के साथ-साथ कॉटन के उत्पादन पर विशेष बल दिया गया जो कि आज भी देखा जा सकता है. इसी के परिणामस्वरूप समुद्र तटीय जिलों में तेलंगाना की अपेक्षा काफी तेजी से विकास हुआ और ये क्षेत्र कालांतर में भी प्रगति करते गए जबकि तेलंगाना का हिस्सा आर्थिक रूप से पिछड़ता गया.
तेलंगाना से जुड़े अहम तथ्य
• तेलंगाना का अर्थ है ‘तेलुगू भाषियों की भूमि’.
• हैदराबाद को भारतीय सेना द्वारा 17 सितंबर 1948 में भारत में शामिल किया गया जबकि हैदराबाद के तत्कालीन निजाम इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे.
• तेलंगाना में कुल 10 जिले हैं – अदीलाबाद, खम्मम, ग्रेटर हैदराबाद, मेदक, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूबनगर, वारंगल, करीमनगर व निजामाबाद.
• क्षेत्रफल – 114800 वर्ग किलोमीटर.
• आबादी- 35.28 करोड़.
• भाषा- तेलुगू व उर्दू.
• विधानसभा स्थिति – वर्तमान राज्य सरकार में तेलंगाना से 119 विधायक चुने गये जबकि पूरे राज्य में 294 सीटें हैं.
• लोकसभा स्थिति- कुल 42 में से 17 सीटें तेलंगाना क्षेत्र से.
• मद्रास राज्य के कुछ हिस्सों तथा वर्तमान तेलंगाना के जिलों को शामिल करके तेलुगू भाषियों के लिए आंध्र प्रदेश राज्य का गठन 1956 में किया गया था.
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