निरस्त और संशोधन विधेयक, 2015 लोकसभा में 7 मई 2015 को पारित किया गया. इसके साथ ही यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया. राज्य सभा ने इसे 5 मई 2015 को ही पारित कर दिया था.
इस विधयेक में 36 पुराने कानूनों को निरस्त करने की मांग की गई थी जो आंशिक या पूर्ण रूप से अप्रचलित हो गए हैं.
36 अधिनियमों में से चार को पूरी तरह से निरस्त कर दिया जाएगा. इसमें इंडियन फिशरीज एक्ट, 1897, फॉरेन ज्यूरिडिक्शन एक्ट, 1947 और शुगर अंडरटेकिंग्स (टेकिंग ओवर ऑफ मैनेजमेंट) एक्ट, 1978 शामिल है.
शेष 32 अधिनियम जिन्हें निरस्त किया जा रहा है, उनके मूल अधिनियमों में संशोधन किया जा रहा है. इसमें रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951, हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955, आनंद मैरिज एक्ट, 1909, इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 आदि शामिल हैं.
ऐसा ही एक विधेयक निरस्त और संशोधन (द्वितीय) विधेयक, 2014 लोकसभा में 8 दिसंबर 2014 को पारित किया गया था और अभी वह राज्यसभा में विचाराधीन है. इसमें 90 कानूनों को निरस्त करने और दो कानूनों में संशोधन को पारित करने की मांग की गई है. 90 कानूनों में से 88 कानून को पूरी तरह से निरस्त कर दिया जाएगा.
विश्लेषण
निरस्त और संशोधन विधेयक, 2015 को केंद्र सरकार के अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने के उद्देश्य से पारित किया गया है.
देश में करीब 1741 कानून अनुपयोगी हो चुके हैं लेकिन अब भी मौजूद हैं. इस संदर्भ में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कुछ विनियोग अधिनियमों की पहचान की थी जिन्हें निरस्त किए जाने की जरूरत बताई गई थी. ये अधिनियम केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है.
इसके एवज में 24 अप्रैल, 2015 को लोकसभा में विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक, 2015 पेश किया गया था. इसमें 1950 और 2012 के बीच संसद द्वारा पारित किए गए 758 अधिनियमों और 1950 से 1976 के बीच संसद द्वारा पारित किए गए 111 राज्य विनियोग अधिनियमों को निरस्त करने का इरादा है इसमें विनियोग (रेलवे) अधिनियम भी शामिल है.
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