प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को 13 मई 2015 को मंजूरी दी गई. ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के अंतर्गत समन्वित प्रयासों से गंगा नदी को व्यापक ढंग से स्वच्छ और संरक्षित किया जाएगा. इस कार्यक्रम के लिए 20000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया. गंगा को स्वच्छ करने के लिए पिछले 30 साल में सरकार की ओर से खर्च की गई राशि से यह रकम चार गुना है. भारत सरकार 1985 से चल रहे इस काम के लिए कुल चार हजार करोड़ खर्च कर चुकी है.
नमामि गंगे’ कार्यक्रम के मुख्य प्रावधान
इस योजना के क्रियान्वयन में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार सरकार ने बेहतर और सतत परिणाम हासिल करने के लिए नदी के किनारों पर रहने वाले लोगों को इस परियोजना में शामिल करने पर जोर दिया है.
अतीत से सबक लेते हुए कार्यक्रम में राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थानों जैसे शुरुआती स्तर के संस्थानों को इसके क्रियान्वयन में शामिल किया जाएगा.
इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा - एनएमसीजी) और राज्यों में इससे संबद्ध संगठनों द्वारा किया जाएगा. राज्यों में इसके समकक्ष संगठन, जैसे स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप्स (एसपीएमजीएस) इस कार्यक्रम को लागू करेंगे.
मिशन द्वारा जहां जरूरी होगा फील्ड कार्यालय स्थापित किए जाएंगे.
गंगा की सफाई के लिए इस मिशन को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए इसकी निगरानी की जाएगी और इसके लिए तीन स्तरीय व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है – क) राष्ट्रीय स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कार्यबल का गठन किया जाएगा जिसे राष्ट्रीय स्तर पर एनएमसीजी मदद करेगा. ख) राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी जिसे एसपीएमजीएस मदद करेंगे. ग) जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर कमेटी बनेगी.
गंगा को स्वच्छ करने के उद्देश्य से पूर्व में चलाई गई योजनाओं के असंतोषपूर्ण नतीजों जैसी हालत फिर न हो इसके लिए केन्द्र ने परिचालन और परिसंपत्तियों के रखरखाव का कार्य कम से कम 10 वर्ष की अवधि के लिए देने की योजना बनाई है.
योजना के प्रवर्तन को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत केन्द्र ने क्षेत्रीय सैन्य इकाई के तौर पर गंगा इको टास्क फोर्स की चार बटालियन बनाने का फैसला किया है.
विदित हो कि वर्ष 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 462 करोड़ रुपए की लागत वाले ‘‘गंगा एक्शन प्लान’ को मंजूरी दी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य नदी का प्रदूषण रोकना और इसके पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाना था. हालांकि यह देश की सबसे प्रदूषित नदी है, जिसका प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्य संगठन द्वारा ‘सुरक्षित’ बताए गए प्रदूषण के स्तर से तीन हजार गुना अधिक है.
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