मिस्र की काहिरा अदालत ने 16 मई 2015 को मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को मौत की सजा सुनाई. यह सजा 2011 में विद्रोह के दौरान बड़े पैमाने पर देश में जेल तोड़ने की घटना के आरोप में सुनाई गई है.
परन्तु मिस्र के कानून के मुताबिक मौत की सजा जैसे मामले पर अंतिम निर्णय लेने के लिए इस फैसले को मिस्र के शीर्ष धार्मिक नेता मुफ्ती के पास भेजा जाएगा.
इससे पहले अपने कार्यकाल के दौरान प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और यातना देने के आरोप में मुर्सी को 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई थी.
विदित हो कि मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद मुर्सी मिस्र के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति थे. अपनी विभाजनकारी नीतियों के कारण मिस्र की जनता ने मुर्सी को हटाने के लिए बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जिसके परिणामस्वरूप जुलाई 2013 में इन्हें सेना द्वारा अपदस्थ कर दिया गया.
सेना द्वारा अपदस्थ किए जाने के बाद सैन्य नेतृत्व वाली सरकार ने मुस्लिम ब्रदरहुड आंदोलन को दबा दिया और मुर्सी सहित हजारों समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया. मोहम्मद मुर्सी के कार्यकाल के दौरान मुस्लिम ब्रदरहुड आंदोलन अपने चरम पर था.
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