हाल ही में भारत-चीन सीमा पर तनाव का एक और कारण उत्पन्न हो गया है. सिक्किम के पास डॉकलाम इलाके में जून 2017 के दूसरे सप्ताह से भारत चीन सीमा पर भारत और चीन की सेनाएं तैनात कर दी गयी हैं. यद्यपि दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध स्वाभाविक है. भारत-चीन-भूटान त्रिकूट में डॉकलाम की स्थिति चिंता का मुख्य कारण है.
पहले भारत और चीन के बीच चिंता का मुख्य कारण सीमा के पश्चिमी क्षेत्र मुख्यतः लद्दाख के समीपवर्ती इलाके हुआ करते थे. लेकिन मध्य क्षेत्र में डॉकलाम की उपस्थिति के कारण चीनी सेना द्वारा यहाँ तनाव की उपस्थिति पैदा करना एक अप्रत्याशित घटना है. डॉकलाम भारत और चीन सीमा मैट्रिक्स में भूटान की उपस्थिति दर्शाता है.चीन और भारत दोनों देशों द्वारा इस क्षेत्र पर अधिकार के दावे ने हालिया विवाद को जन्म दिया है.
हाल ही में भारत-चीन सीमा पर तनाव का एक और कारण उत्पन्न हो गया है. सिक्किम के पास डॉकलाम इलाके में जून 2017 के दूसरे सप्ताह से भारत चीन सीमा पर भारत और चीन की सेनाएं तैनात कर दी गयी हैं. यद्यपि दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध स्वाभाविक है. भारत-चीन-भूटान त्रिकूट में डॉकलाम की स्थिति चिंता का मुख्य कारण है.
पहले भारत और चीन के बीच चिंता का मुख्य कारण सीमा के पश्चिमी क्षेत्र मुख्यतः लद्दाख के समीपवर्ती इलाके हुआ करते थे. लेकिन मध्य क्षेत्र में डॉकलाम की उपस्थिति के कारण चीनी सेना द्वारा यहाँ तनाव की उपस्थिति पैदा करना एक अप्रत्याशित घटना है. डॉकलाम भारत और चीन सीमा मैट्रिक्स में भूटान की उपस्थिति दर्शाता है.चीन और भारत दोनों देशों द्वारा इस क्षेत्र पर अधिकार के दावे ने हालिया विवाद को जन्म दिया है.
डॉकलाम का सामरिक महत्व
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, डॉकलाम क्षेत्र पर चीन के दावे का मुख्य कारण क्षेत्रीय होने के साथ साथ इसकी भू-रणनीतिक आवश्यक्ता है. डॉकलाम में चीन की उपस्थिति चीन को भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बहुत समीप ला देगी. सिलीगुड़ी कॉरिडोर को 'चिकन नेक' भी कहा जाता है तथा वह भारत के पूर्वोत्तर की जीवन रेखा है.यह उत्तर भारत के सात राज्यों के साथ शेष भारत को जोड़ता है.
मौजूदा गतिरोध से संबंधित कुछ प्राथमिकताएं नीचे दी गई हैं
- डॉकलाम पठार चंबी घाटी के ऊपर स्थित है, जो भारत, चीन और भूटान के त्री जंक्शन में स्थित है.
- ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस क्षेत्र पर भूटान का दावा है लेकिन इस विषय पर अब चीन ने सवाल उठाए हैं.
- मौजूदा गतिरोध एक तरफ भारत और भूटान के बीच अंतर तथा दूसरी तरफ भारत,भूटान और चीन के मध्य इस क्षेत्र की उपस्थिति के कारण उपजा है.
- भारत के अनुसार, यह क्षेत्र बटांग ला में पड़ता है जबकि चीन का कहना है कि यह त्रिज्या माउंट जिपमोची से आगे दक्षिण में है.
- बहुत हद तक थिंपू चीन के दावों को स्वीकार करते हुए यह मानते हैं कि तिब्बती / चीनी चरवाहे डॉकलाम पठार और डोर्सा नाला क्षेत्र में समान रूप से जाते रहे हैं लेकिन वे यह भी स्वीकार करते हैं कि त्रिजंक्शन बटांग ला में पड़ता है.
- सभी मौसमों में भारी वाहनों को ले जाने में सक्षम सड़कों के निर्माण के इरादा से 17 जून को इस क्षेत्र को लेकर चीनी सेना द्वारा वर्तमान गतिरोध की शुरुआत हुई.
- भूटान की सेना ने सड़क निर्माण का विरोध किया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. क्षेत्र में मौजूद भारतीय कर्मियों ने निर्माण कर्मियों को रोकने की कोशिश की क्योंकि डॉकलाम पठार क्षेत्र एक त्री जंक्शन प्वाइंट है.
समझौते के विशेष मुद्दे जिन्हें समझने की आवश्यक्ता है ?
1890 कलकत्ता कन्वेंशन: यह कन्वेंशन प्रकृति में त्रिपक्षीय था क्योंकि यह भारत, सिक्किम और चीन द्वारा दर्ज किया गया था. इस सम्मेलन में पार्टियों के बीच सीमा क्षेत्रों से सम्बंधित समस्या का समाधान करने की कोशिश की गयी थी. वैसे असली समस्या सम्मेलन में उपयोग किए जाने वाले स्थलों की अस्पष्ट प्रकृति और समय की अवधि को लेकर किये जाने वाले भिन्न भिन्न व्याख्याओं में निहित है.
शिमला समझौता 1914: मैकमोहन लाइन के कानूनी आधार को लेकर ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत द्वारा शिमला में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. मैकमोहन रेखा आम तौर पर वर्तमान भारत और चीन के बीच वाटरशेड का पालन करती हैं लेकिन यह विशेष रूप से दक्षिणी हिस्से में वाटरशेड का पालन नहीं करती. यह थगल ला रिज के दक्षिण में खींची गई थी, जो डोकल के पास स्थित है.
भारत-भूटान मैत्री संधि 2007: इस संधि के तहत भूटान को एक विशेष दायित्व दिया गया जिसके तहत वह यह सुनिश्चित कर सके कि वह अपने क्षेत्र का कोई भी हिस्सा ऐसी गतिविधियों के लिए उपयोग न करने दे जिनसे भारतीय सुरक्षा को हानि पहुंचे. भारतीय सुरक्षा बलों ने जून 2017 में चीन के सड़क निर्माण का विरोध किया.
भारत-चीन समझौता 2012: दोनों देशों ने 2012 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया है कि "दोनों देशों और किसी भी तीसरे पक्ष के बीच" त्रि-जंक्शन सीमा को, सम्बन्धित देशों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जाएगा. यह प्रावधान भारत, चीन और भूटान से जुड़े मौजूदा गतिरोध का मुख्य कारण है.
आगे क्या किया जाना चाहिए ?
बॉर्डर पर बार बार ऐसी घटनाओं की आवृति को रोकने के लिए नीचे दिए गए कुछ विशेष बातों पर विचार किया जाना चाहिए-
• बिना किसी देरी के इस मुद्दे को सुलझाने हेतु भारत और चीन के मध्य एक हॉटलाइन स्थापित की जानी चाहिए.
• बॉर्डर के प्रश्न पर स्थायी प्रतिनिधि के बीच चल रही वार्ताओं का जल्द से जल्द निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए.
• विवाद की समाप्ति के लिए तीनो देशों के नेताओं के बीच शिखर स्तर की वार्ता आयोजित की जानी चाहिए.
निष्कर्ष
इस मुद्दे पर भारत को अपना रुख स्पष्ट करते हुए इस पर दृढ रहना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि छोटे सीमा विवाद भारत के लिए लाभदायक नहीं है. अभी भारत को एलएसी की तत्काल सीमा नियमों का पालन करते हुए इस समस्या का समाधान चीन के राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों के साथ भविष्य की बैठकों के जरिए निकालना चाहिए.
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