प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर रोक लगाने हेतु 8 नवंबर 2016 को राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 रुपये एवं 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की. यह नोट 8 नवंबर 2016 की आधी रात से बंद हो गये तथा इनके स्थान पर नये नोटों के विकल्प की भी घोषणा की गयी.
प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गयी कि 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट 10 नवम्बर से 30 दिसम्बर, 2016 तक बैंक अथवा डाकघर के खाते में पहचान पत्र दिखाकर जमा करवाये जा सकते हैं.
प्रधानमंत्री द्वारा दिए गये संबोधन में बताया गया कि 2000 रुपये का नया नोट भी जारी किया जायेगा. साथ ही यह भी कहा गया कि अस्पतालों में 11 नवम्बर 2016 तक यह नोट इस्तेमाल किये जा सकेंगे.
योजना के मुख्य बिंदु
• लोग 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंक या डाकघर में जमा करा सकते हैं.
• प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नोट जमा कराने के लिए 50 दिन का समय दिया गया है.
• यदि लोग इस समयावधि तक भी 500 और 1000 के पुराने नोट जमा न करा पायें तो वे रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित शाखाओं पर जाकर संपत्ति घोषणापत्र के साथ 31 मार्च 2017 तक नोट जमा करा सकते हैं.
• रिज़र्व बैंक द्वारा 500 रुपये एवं 2000 रुपये के नए नोट जारी करने की भी घोषणा की गयी.
• प्रधानमंत्री ने कहा कि 500 और 1000 के नोटों के अतिरिक्त सभी नोट और सिक्के नियमित हैं और उनसे लेन-देन हो सकता है.
तत्काल प्रभाव
भारत में इस समय 500 रुपये के लगभग 1650 करोड़ नोट चलन में हैं जिनका मूल्य 7.8 लाख करोड़ रुपए है अर्थात कुल सरकारी खजाने का 47.85 प्रतिशत. इसी प्रकार कुल सरकारी धनराशि का 38.54 प्रतिशत 1000 के नोटों के रूप में चलन में है. इससे दोनों धनराशियों को मिलाकर 14 लाख करोड़ रुपये तत्काल चलन से बाहर हो जायेंगे.
पहले भी हुआ है ऐसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का निर्णय भारत में पहली बार नहीं लिया गया है. इससे पहले स्वतंत्रता पूर्व वर्ष 1946 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 1000 और 10,000 के नोटों को बंद किया गया था. इसका उद्देश्य देश में प्रचलित नोटों की संख्या का पता लगाना था. उस समय इनके स्थान पर वर्ष 1954 में 5000 रुपये का नोट जारी किया गया जिसे वर्ष 1978 में बंद कर दिया गया.
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