भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2 अगस्त 2017 को मौद्रिक नीति की समीक्षा में की. ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है, जिससे रेपो रेट घटकर 6.0 प्रतिशत रह गया है. रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को उनकी फौरी जरूरत को पूरा करने के लिये नकदी उपलब्ध कराता है.
मुख्य तथ्य:
• आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर सात साल के सबसे निचले स्तर 6.0 फीसदी पर ला दिया है.
• रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 प्रतिशत की कटौती किए जाने से यह 5.75 फीसदी रह गया है.
• अब होम लोन तथा अन्य प्रकार के कर्ज लेने वाले लोगों को राहत मिलेगी.
• आरबीआई ने कहा हम कंपनियों के फंसे बड़े कर्ज के समाधान तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
• रिवर्स रेपो दर के तहत रिजर्व बैंक, बैंकिंग तंत्र से नकदी उठाता है. इसके साथ ही बैंकों की सीमांत स्थायी सुविधा एमएसएफ और बैंक दर भी घटकर 6.25 प्रतिशत रह गईं.
• भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया.
• निजी निवेश में नई जान डालने, बुनियादी ढांचा की बाधाओं को दूर करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना पर विशेष जोर देने की जरूरत है.
• मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत रखने के लक्ष्य के साथ मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ रखने और आने वाले आंकडों पर नजर रखने का फैसला किया है.
सितंबर 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर का कार्यभार संभालने के बाद उर्जित पटेल के नेतृत्व में यह पहली मौद्रिक समीक्षा थी. अक्तूबर 2016 के बाद यह पहला मौका है, जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में कटौती की है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि वह कंपनियों के फंसे कर्ज तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नयी पूंजी डालने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है.
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