अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने डोपिंग मामले में वर्ष 2018 में दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग में होने वाले विंटर ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने से रूस को प्रतिबंधित कर दिया है. हालांकि रूस के वो एथलीट इसमें हिस्सा ले सकते हैं जो ये साबित कर दें कि वो डोपिंग में शामिल नहीं हैं, लेकिन ऐसे खिलाड़ी रूस का झंडा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग में 9 फरवरी से 25 फरवरी 2018 तक विंटर ओलिंपिक खेलों का आयोजन होना है.
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मुख्य तथ्य:
• रूस ने 2014 में सोचि में विंटर ओलंपिक की मेज़बानी की थी और उसी दौरान सरकार प्रायोजित डोपिंग की शिकायतें आई थीं, जिनकी जांच चल रही थी.
• आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख़ और बोर्ड ने जांच रिपोर्ट और सुझावों को पढ़ने के बाद ये फ़ैसला दिया.
• स्विट्ज़रलैंड के पूर्व राष्ट्रपति सैमुअल श्मिट के नेतृत्व में इस मामले की 17 महीने तक जांच चली थी.
• रूसी ओलंपिक समिति को निलंबित किया जा चुका है, लेकिन आईओसी ने कहा है कि फ़रवरी में होने वाले खेलों में निर्दोष रूसी खिलाड़ियों को हिस्सा लेने के लिए उन्हें ओलंपिक एथलीट फ़्रॉम रशिया (ओएआर) के नाम से आमंत्रित किया जाएगा.
• रूस के लगातार खंडन के बावजूद जांच में रूस के डोपिंग विरोधी क़ानूनों के साथ जानबूझ कर तोड़ने-मरोड़ने के सबूत पाए गए हैं.
• इससे इस बात को और बल मिला है कि चार साल पहले हुए विंटर ओलंपिक खेलों के रन-अप में हुई धोखाधड़ी में सरकार शामिल थी.
क्यों लगा प्रतिबंध?
ये सारा मामला तब पता चला जब एक डॉक्टर ग्रिगोरी रोडशेंकोव ने सवाल उठाया. वे वर्ष 2014 में सोचि में हुए विंटर ओलंपिक के दौरान रूस के एंटी डोपिंग प्रयोगशाला के निदेशक थे. उन्होंने आरोप लगाया कि रूस अपने खिलाड़ियों के डोपिंग के लिए एक व्यवस्थित कार्यक्रम चलाता है और दावा किया कि उन्होंने एक ऐसी दवा बनाई थी, जो एथलीट के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मदद करती हैं.
विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने कनाडा के क़ानून के प्रोफ़ेसर और वकील डॉ रिचर्ड मैकलॉरेन को इसकी जांच करने का जिम्मा सौंपा. मैकलारेन की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012 से वर्ष 2015 के बीच 30 खेलों में क़रीब 1000 एथलीटों को इस डोपिंग प्रोग्राम से फ़ायदा पहुंचा है. इसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जांच हुई और खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाए गए और पदक वापस लिए गए.
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स्रोत (बीबीसी)
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