निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

Jul 20, 2017, 10:37 IST

जस्टिस चंद्रचूड़ के अनुसार बेडरूम में क्या हो रहा है यह निजता हो सकते हैं लेकिन स्कूली बच्चे को स्कूल भेजना या न भेजना स्वतंत्रता के अधिकार के तहत निजता नहीं हो सकती.

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सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2017 को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं हो सकता उसमें कुछ प्रतिबन्ध हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार है अथवा नहीं मामले पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी दी.

सुनवाई के दौरान कोर्ट की नौ सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने निजता के अधिकार की रुपरेखा जानना चाहा इस पर वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने दलील पेश की कि स्वतंत्रता के अधिकार में ही निजता का अधिकार निहित है. उन्होंने कहा कि यह संविधान के ह्रदय एवं आत्मा के समान है.

इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वतंत्रता के सभी अधिकारों में निजता को समाहित नहीं किया जा सकता. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी के बेडरूम में क्या हो रहा है यह उसकी निजता हो सकते हैं लेकिन स्कूली बच्चे को स्कूल भेजना या नहीं भेजना स्वतंत्रता के अधिकार के तहत निजता नहीं हो सकती.

मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता में बनाई गयी न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े,  न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आज हम बैंक में अपनी जानकारी देते हैं, मेडिकल इंशोयरेंस और लोन के लिए अपना डाटा देते हैं. ये सब कानून द्वारा संचालित है यहां बात अधिकार की नहीं है बल्कि डिजिटल जमाने में डेटा प्रोटेक्शन बड़ा मुद्दा है. सरकार को डेटा प्रोटेक्शन के लिए कानून लाने का अधिकार है.

पृष्ठभूमि
वर्ष 2009 में आधार कार्ड प्रक्रिया आरंभ होने से ही देश में निजता के अधिकार पर बहस आरंभ हो गयी थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि आधार परियोजना निजता के अधिकार का उल्लंघन कर रही है. वर्ष 2015 में एक सरकारी वकील ने अदालत में बहस के दौरान कहा था कि यह कोई मौलिक अधिकार नही है जिसे बाद में नकार दिया गया तथा किसी भी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका. इसी मुद्दे पर आज भी न्यायालय में बहस जारी है.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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