वैज्ञानिकों के एक दल ने जुलाई 2017 में अब तक के सबसे छोटे तारे की खोज की है. ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस तारे को ढूंढा है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह तारा आकार में शनि ग्रह से थोड़ा बड़ा है लेकिन यह पृथ्वी से 600 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है.
मुख्य बिंदु
• ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा जिस तारे को ढूंढा गया उसे इबीएलएम जे0555-57एबी नाम दिया गया.
• शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे छोटे तारे का होना संभव नहीं है क्योंकि हाइड्रोजन के नाभिक संलयन के लिए उसे हीलियम में परिवर्तित करने हेतु जितना वजन होना चाहिए इसका वजन उतना ही है.
• यदि किसी तारे का वजन कम होगा तो भीतर का दबाव इस प्रक्रिया को पूरा नहीं होने देगा.
• इस तारे के सतह का गुर्त्वाकर्षण खिंचाव हमारी पृथ्वी के गुर्त्वाकर्षण से 300 गुना अधिक है.
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तारे क्या हैं?
तारे स्वयं-प्रकाशित उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल खगोलीय पिंड हैं. इनका निजी गुरुत्वाकर्षण इनके द्रव्य को संघटित रखता है. कुछ चमकते तारों के समूह आकाश को विभिन्न भागों में बाँटते हैं. इन तारों के समूह को तारामंडल कहा जाता है. पूरे आकाश को 88 तारामंडलों में विभक्त करके उन तारामंडलों के नाम रखे गये हैं.
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