अमेरिका ने 03 दिसम्बर 2017 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वैश्विक शरणार्थी समझौते से अलग होने की घोषणा की है. उसका कहना है कि ओबामा के कार्यकाल में हुए इस समझौते के कई प्रावधान अमेरिका की अप्रवासन एवं शरणार्थी नीतियों और ट्रंप प्रशासन के अप्रवासन सिद्धांतों के खिलाफ हैं.
मुख्य तथ्य:
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन यूनेस्को और पेरिस जलवायु समझौता समेत कई वैश्विक प्रतिबद्धताओं से अलग हो चुका है. यूएन में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समझौते की प्रक्रिया से अलग होने के लिए कृतसंकल्प हैं. इससे पहले यूएन महासचिव को अमेरिका के इस फैसले की जानकारी दी गई.
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यूएन में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका को विश्व भर में शरणार्थियों को मदद देने पर अपनी अप्रवासी विरासत और लंबे समय से चले आ रहे नैतिक नेतृत्व पर गर्व है.
इस मामले में अमेरिका से ज्यादा किसी और देश ने नहीं किया है. अमेरिका की उदारता बनी रहेगी. लेकिन अप्रवासी नीतियों पर हमारे फैसले केवल अमेरिकियों द्वारा ही किए जाने चाहिए. यह हम तय करेंगे कि कितनी अच्छी तरह से सीमा पर नियंत्रण करेंगे और किसे हमारे देश में प्रवेश की इजाजत मिले. उन्होंने कहा कि न्यूयार्क घोषणा में वैश्विक दृष्टिकोण अमेरिकी संप्रभुता के अनुकूल नहीं है.
शरणार्थी के संबंध में यूएन के न्यूयार्क घोषणा में शामिल होने के ओबामा प्रशासन के फैसले के बाद 2016 में अमेरिका समझौते की प्रक्रिया में शामिल हुआ.
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