भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग को राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के डोपिंग रोधी अपील पैनल (एडीडीपी) का सदस्य बनाया गया है. उनके साथ दिल्ली के पूर्व खिलाड़ी विनय लाम्बा को भी सदस्य बनाया गया. इस तरह की समिति में क्रिकेटरों के शामिल होने का यह दुर्लभ उदाहरण है.
सेवानिवृत्त जज आरवी ईश्वर को छह सदस्यों के इस पैनल में अध्यक्ष बनाया गया है. समिति के अन्य सदस्यों में वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा, डॉ. नवीन डांग और हर्ष महाजन शामिल हैं.
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नाडा ने डोपिंग रोधी अपील पैनल (एडीडीपी) के सदस्यों की भी नियुक्ति की, जिसमें कुंजरानी देवी (भारोत्तोलक), अखिल कुमार (मुक्केबाजी), रीत अब्राहम (एथलेटिक्स), जगबीर सिंह (हॉकी) और रोहित राजपाल (टेनिस) जैसे खिलाड़ी शामिल हैं.
एडीडीपी के प्रमुख सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुलदीप सिंह होंगे. इसके अन्य सदस्यों में मानिक डोगरा (वकील), नलिन कोहली (वकील), बीना गुप्ता (वकील), सुरभि मेहता (वकील), विनोद डोगरा, डॉ. अंकित शर्मा और डॉ. चेंगप्पा शामिल हैं.
नियमों के अनुसार, किसी भी डोपिंग मामले की सुनवाई पहले एडीडीपी करती है और उसके बाद मामला एडीएपी को भेज दिया जाता है. हाल ही में बीसीसीआई के अंतर्गत खेलने वाले खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करने की अनुमति भारत सरकार से नाडा को मिली थी.
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के बारे में:
• राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) भारत में 1890 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत एक संस्था है.
• इसकी स्थापना 24 नवंबर 2005 को की गयी. यह भारत में खिलाडियों के डोप मुक्त खेल हेतु उत्तरदायी है. नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के तहत स्वायत्त ईकाई है, जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है.
• सरकार नाडा के काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है.
• यह समाज के प्राथमिक उद्देश्यों, वाडा कोड के अनुसार डोपिंग रोधी नियमों को लागू करने, विनियमित डोप नियंत्रण कार्यक्रम बनाने, डोपिंग और इसके दुष्परिणामों के बारे में शिक्षा और अनुसंधान, जागरूकता को बढ़ावा देती है.
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