ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा अगस्त 2017 के दूसरे सप्ताह में घोषणा की गयी कि उन्होंने अंटार्कटिक में बर्फ की चादर के नीचे विश्व के सबसे बड़े जवालामुखी क्षेत्र मौजूद होने की खोज की है.
वैज्ञानिकों के अनुसार सतह से दो किलोमीटर नीचे लगभग 100 ज्वालामुखियों की मौजूदगी होने की संभावना है. एक ही स्थान पर इतने अधिक ज्वालामुखी मौजूद होने के कारण यह विश्व का सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र है.
प्रमुख बिंदु
• इस खोज को ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा प्रमाणित किया गया.
• वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र में 91 ज्वालामुखियों का हाल ही में पता लगाया गया है जबकि कुछ समय पहले ही 47 ज्वालामुखी खोजे जा चुके हैं.
• शोधकर्ताओं का दावा है कि यह ज्वालामुखी स्विट्जरलैंड के 4 हजार मीटर ऊंचे ईगर पर्वत जितने बड़े हो सकते हैं.
• यह ज्वालामुखी 100 से 3850 मीटर ऊंचे हो सकते हैं.
• यह ज्वालामुखी अंटार्कटिका प्रायद्वीप के रोज़ आईस शेल्फ से लगभग 3500 किमी दूर हैं.
• एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के रॉबर्ट बिंघमद्वारा जारी बयान के अनुसार रोज़ आईस शेल्फ के नीचे स्थित समुद्र की सतह पर और और भी ज्वालामुखी मौजूद हो सकते हैं.
• यह पूर्वी अफ्रीका के ज्वालामुखी क्षेत्र से भी बड़ा है जहां माउंट न्यिरोगोंगो, किलिमंजारो, लोंगोनॉट और अन्य सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि इनमें से कोई भी ज्वालामुखी फूट पड़ा तो वह पश्चिम अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों को अस्थिर कर सकता है. शोधकर्ताओं के अनुसार वर्तमान में अधिकांश ज्वालामुखी उन क्षेत्रों में हैं जहां ग्लेशियर खत्म हो चुके हैं. उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा पश्चिमी अंटार्कटिका में भी हो सकता है.
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