सकारात्मक सोच जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। सकारात्मक सोच कि मदद से, आप खुद को नकारात्मक सोच के दायरे से बाहर लाने की शुरूआत कर सकते हैं और आप देखेंगे की आपका जीवन परेशानी, बाधाओं और तनाव से काफी दूर हो जाएगा| यदि आपको भी जानना है कि कैसे अपने अन्दर सकारात्मक सोच को विकसित करना चाहिए, तो नीचे दिए गए टिप्स को ज़रूर पढ़ें।
यहाँ हम आपको जो टिप्स बताने जा रहे हैं वह बहुत ही आसान है इसके लिए सबसे पहले आपको क्या करना है वह निचे दिए फ्लो चार्ट में देखें और फिर विस्तार में जाने :
अब इस सभी बिन्दुओं को विस्तार में समझें क्यूंकि ये पांच ऐसे आसान तरीकें है जो आपको पूरी तरह सकारात्मक बना सकते हैं :
नकारात्मक सोच को पहचानें:
नकारात्मक सोच जो आपको हमेशा पीछे की ओर खींचती हैं, उन्हें सकारात्मक विचारों में बदलने के लिए, आपको “सबसे पहले अपने अन्दर आने वाली नकारात्मक सोच“ के बारे में जागरूक होने की जरूरत है| जब आप अपने इन नकारात्मक विचारों को पहचान जाएंगे, तो आप अपने अन्दर आने वाली नकारात्मक सोच को आसानी से हटा भी पाएंगे| जैसे- कई बार छात्र परीक्षा के बारे में सुनते ही यह सोच बैठते हैं कि, “शायद मैं इस परीक्षा में फेल हो जाऊंगा,” या इस एग्जाम में पास होना तो मुश्किल है| ऐसी सोच अपने आप आने वाली नकारात्मक सोच का उदाहरण है। गौर करने कि बात यह है कि परीक्षा के नाम से ही आपके मन में ये विचार आया लेकिन कही न कही आपके अन्दर आने वाला ये विचार आपको आपके परीक्षा के लिए नकारात्मक कर रहा था उस समय|
अपने नकारात्मक विचारो को चुनौती दें:
जब भी आपके मन में किसी नई चीज़ या काम को लेकर नकारात्मक सोच आए, खासकर आटोमैटिक नकारात्मक विचार जैसा कि ऊपर बताया गया है, तो उन्हें आने से रोकें और उन विचारों का सबसे पहले आकलन करें कि यह विचार आपके उस विशेष कार्य के लिए कितना सही है|
उदाहरण के लिए, माना आपके अन्दर नकारात्मक विचार “मैं हमेशा परीक्षा में फेल होता हूँ,” या “मेरे मार्क्स अच्छे आते ही नहीं” हो सकता है। अब यह सोचें अगर आप हमेशा परीक्षा में फेल होते, तो क्या आप अभी तक स्कूल में होते?..... अपने सभी कक्षा के मार्क्स फिर से देखें और ऐसे परीक्षा के फल देखें जिसमें आप पास हुए है या आपको अच्छे ग्रेड मिले हों| आप देखेंगे कि आपके मार्क्स हमेशा सभी विषय में कम नही आये या आप हमेशा फेल नही होते आये हैं तथा आप यह भी देख सकेंगे कि कुछ परीक्षाओं में आपको A या B ग्रेड मिला है, जो पुष्टि करता है कि आप अपने बारे में कुछ ज्यादा ही नकारात्मक सोच रहे हैं।
नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलें :
अब जब आपको खुद पर भरोसा हो जाएगा कि आप नकारात्मक विचारों को पहचान कर चुनौती दे सकते हैं, तब आपको यह भी पता चल जाएगा कि आप अपने विचारों को सकारात्मक में कैसे बदलें|उदाहरण के लिए, अगर आपके मन में हमेशा यह विचार आता है कि, “मैं शायद परीक्षा में फेल हो जाऊंगा,” तो खुद को रोकें| क्यूंकि आपको यह तो पता है कि ऐसे विचार आपके लिए नकारात्मक है और ऐसे विचार बस आपको और तनाव में ही डाल सकते हैं तो अपने अन्दर ऐसे विचारों को अब बदलना शुरू करें| दरअसल यहाँ सकारात्मक होने का यह मतलब नहीं कि आप अपने एग्जाम को लेकर लापरवाही बरतें और बिना मेहनत के बस सकारात्मक रहें| जैसे, ऐसा सोचना कि, “बिना पढ़े, मुझे इस परीक्षा में 100 में से 80 या 90 अंक मिलेंगे, तो ऐसा सोचना गलत होगा| सकारात्मक सोच का मतलब इस परिस्तिथि में यह है कि आप इसे ऐसा सोच सकते हैं कि, “मैं परीक्षा के लिए तैयारी करने में समय दूंगा और मन लगाकर पढ़ाई करूंगा, ताकि मैं परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकूं।
है या नहीं वाली सोच” से बचें :
कुछ ऐसी सोच जिसमें हम सोचते है कि या तो करेंगे या नहीं...... इस तरह के विचार से बचें| इन विचार के कारण लोग अक्सर यह सोचने लगते हैं कि जो कुछ वह करेंगे उसे बखूबी करेंगे या करेंगे ही नहीं| इस तरह की सोच से बचने के लिए, बीच वाली सोच को अपनाएं| ऐसी परिस्तिथि में सोचने के बजाय, इन दो परिणामों के बीच आने वाले सभी परिणामों की सबसे पहले एक सूची बनाएं, ताकि आप सभी पहलुओं हो अच्छी तरह समझ पाएं| उदाहरण के लिए, अगर आपकी परीक्षा नजदीक आ रही है और आपकी उस परीक्षा के लिए तैयारी अच्छी नहीं है जिस कारण आप इस परिस्तिथि में परीक्षा न देने की सोच रहें हैं| आपने पहले ही खुद को तैयार कर लिया है कि जब तैयारी नहीं है तो एग्जाम में उपस्थित होने से भी फेल होना है और न उपस्तिथ होने पर भी फेल होना है तथा यह सोच कर परीक्षा के लिए बिलकुल तैयारी नहीं करते हैं| तो यह सोच बिलकुल गलत होगी क्यूंकि अगर आप फेल होते हैं तो इसका कारण है, कि आपने बिलकुल कोशिश ही नहीं की है। हालांकि, यह अनदेखा करने वाला तथ्य है कि अगर आप परीक्षा की तैयारी के लिए समय देते तो शायद परीक्षा में पास होने की संभावना होती|
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परिस्थिति के ”दोनों पहलू को समझें :
हर परिस्थिति के दो पहलु होते हैं, जो या तो सकारात्मक या नकारात्मक होते हैं और यह दोनों ही हमें परिस्थिति को पहचानने में मदद करते हैं| अगर आप किसी भी चीज़ को लेकर सबसे पहले उसके नकारात्मक पहलु को ही सोचेंगे, तो आप किसी भी परिस्थिति के बारे में सकारात्मक नहीं सोच पाएंगे| उदाहरण को लिए, अगर आपने कोई परीक्षा दी है और उसमें आपको B ग्रेड मिला है लेकिन उसके साथ आपको अपने शिक्षक से फीडबैक भी मिला है कि पिछले परीक्षा के मुकाबले इस बार आपने काफी अच्छे मार्क्स प्राप्त किये हैं| तो इस परिस्थिति में अगर आप सिर्फ एक ही पहलू के बारे में सोच रहे हैं कि आपको परीक्षा में B ग्रेड मिला है, तो आप सिर्फ नकारात्मक सोच रहे हैं और इस हकीकत को बिलकुल अनदेखा कर रहे हैं कि पिछले बार के मुकाबले आपने इस बार ज्यादा मार्क्स प्राप्त किए हैं|
निष्कर्ष : यदि ऊपर दिए इन सुझाव को आप अपने दिनचर्या में अपनाएं तो आसानी से अपने अन्दर सकारात्मक सोच विकसित कर सकते हैं और आप खुद देखेंगे कि कामयाबी बहुत जल्दी आपके कदम चूमेगी|
शुभकामनायें !!
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