प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई जनधन योजना लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. खासतौर पर उन लोगों के लिए जो अब तक कागजी परेशानियों के चलते अपना बैंक खाता खुलवाने में असमर्थ थे. अब सभी को खाता खुलवाने के साथ ही बैंकिंग सुविधाओं का लाभ मिलने लगा है. डेबिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा का लाभ भी साथ में दिया जा रहा है. वित्त मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना को 28 अगस्त 2014 को शुरू किया गया था. शुभारंभ के पहले दिन ही देशभर में करीब 1.5 करोड़ खाते खोले गए. योजना के तहत मार्च 2015 तक सार्वजनिक, निजी और क्षेत्रीय बैंकों द्वारा 1471.63 लाख खाते खोले जा चुके हैं. इनमें 852.13 लाख खाते शून्य बैलेंस वाले हैं. जबकि, 1567029.41 लाख रुपये इन खातों में जमा हो चुके हैं. अब तक 1314.82 लाख खाता धारकों को डेबिट कार्ड ‘रूपे’ जारी किया जा चुका है. इतने सारे बैंक खाते एक साथ खोला जाना अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है.
एक अनुमान के मुताबिक देश में 42 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं जिससे उन्हें कई सरकारी योजनाओं एवं बैंकिंग सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी वर्ग को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को पेश किया. मेरा खाता भाग्य विधाता, के स्लोगन के साथ शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य हर घर में कम से कम एक बैंक खाता खुलवाना है. इस योजना से अब तक बैंकिंग सुविधाओं से वंचित रहे देश के एक बड़े वर्ग को लाभ मिल रहा है. खाते खुलवाने के लिए दस्तावेजों के कई विकल्प भी उपलब्ध कराए गए हैं. वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, सरपंच या किसी सरकारी अधिकारी का पत्र, नरेगा कार्ड, बिजली या टेलीफोन का बिल, जन्म या विवाह प्रमाणपत्र के साथ भी खाता खोला जा सकता है. दस्तावेजों के अधिकतम विकल्प होने से गरीबों को इसका सबसे अधिक लाभ मिला है. पहले उन्हें जरुरी दस्तावेज़ ना होने के कारण खाते खुलवाने में परेशानी का सामना करना पड़ता था. प्राथमिकता में शामिल न होने के कारण बैंक भी उन्हें महत्व नहीं देते थे. लेकिन, अब बैंक भी उन्हें खाता खोलने से इंकार नहीं कर सकते. सरकार द्वारा लक्ष्य आवंटित होने से खाते खोलना उनके लिए बाध्यता बन गया है.
इस योजना के कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. अब जीरो बैलेंस पर खाता खोला जा सकता है जबकि पहले ऐसा नहीं था. जनधन योजना के खाते में न्यूनतम बैलेंस रखने की भी कोई बाध्यता नहीं है. खाता खुलवाने के साथ ही खाताधारक को 30000 रुपये का लाइफ कवर भी दिया जा रहा है. डेबिट कार्ड लेने पर एक लाख रुपये का बीमा कवर भी योजना में शामिल है. इससे कड़ी मेहनत करने वाले देश के गरीब वर्ग को आपात स्थिति में मदद मिल सकती है. छह माह तक अपना खाता सक्रिय रखने पर सरकार द्वारा ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है. ओवरड्राफ्ट की सीमा 5000 रुपये तय की गई है. सफलतापूर्वक यह लोन चुकाने पर ओवरड्राफ्ट 15000 रुपये तक किया जा सकता है. योजना के तहत वृद्ध लोगों के लिए पेंशन की सुविधा का भी प्रावधान है. बैंकों का कवरेज क्षेत्र बढ़ाकर उन्हें प्रत्येक गांव तक पहुंचाने की बात भी इस योजना में शामिल है ताकि अधिकतम लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ अपने घरों के नजदीक ही प्राप्त कर सकें. बैंक में खाता होने से गरीबों में बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है. खाते में रकम जमा करने से उन्हें ब्याज की प्राप्ति भी होती है. बैंक खातों में इकट्ठा धन सरकार के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है. सरकार इस धन का उपयोग विकास योजनाओं के बजट के लिए कर सकती है. जबकि, बैंक खाता न होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाता था. बैंक खाता खुलने से गरीबों में जागरूकता भी आई है. उनमें बैंकिंग सेवाओं की समझ और उसका लाभ लेने का चलन बढ़ने लगा है. इससे भारत में खाता धारकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
एक तरफ योजना की कई मायनों में तारीफ हो रही है, लेकिन इसके नकारात्मक पहलू आलोचना का कारण बन रहे हैं. कांग्रेस नेता इस योजना को यूपीए सरकार का बताते हैं. खाते के साथ में मिलने वाला 30000 रुपये का लाइफ कवर सिर्फ पांच साल के लिए है और योजना के नियम शर्तों के अनुसार लाइफ कवर के लिए बहुत कम लोग ही पात्रता की श्रेणी में पहुंच रहे हैं. ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी पूरी तरह बैंकों की मर्जी पर छोड़ी गई है. ओवरड्राफ्ट की सुविधा सिर्फ उन्हीं को प्रदान की जाएगी जिनके खातों का रिकॉर्ड बैंकों की नजर में संतोषजनक होगा. सबसे बड़ी बात रूपे कार्ड के साथ मिलने वाले दुर्घटना बीमा के लिए खाता धारकों को किसी प्रकार का लिखित दस्तावेज नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में उन्हें जरूरत के समय बीमा का लाभ मिल पाना आसान नजर नहीं आता है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार योजना में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही अधिक रुचि दिखा रहे हैं. करीब 97 प्रतिशत बैंक खाते पब्लिक सेक्टर बैंकों में ही खोले गए, जिनमें से 72 प्रतिशत खातों में जमा राशि शून्य है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में निष्क्रिय बैंक खातों का प्रतिशत 43 है. भारत में केवल 39 प्रतिशत खाता धारकों के पास ही डेबिट या एटीएम कार्ड है. मतलब, अब भी एक बड़ा वर्ग एटीएम कार्ड की सुविधा से वंचित है. कई बार बैंकों द्वारा लोगों के खाते खोलने में बैंक द्वारा आनाकानी की शिकायतें भी आती हैं. हालांकि, इन शिकायतों के निस्तारण के लिए नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं. इसके अलावा बैंकों पर खातों का अतिरिक्त दबाव भी बढ़ गया है, जिनमें से कई लगातार सक्रिय नहीं हैं.
बहरहाल, आलोचना से परे केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना कई मायनों में बेहतर साबित हो रही है. इस योजना ने अब तक वंचित रहे वर्ग को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पहला कदम उठाया है लेकिन प्रत्येक योजना की तरह इस योजना के सामने भी कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती खाते खुलवाने के बाद उन्हें सक्रिय रखने की है. वहीं, योजना के लिए तय नियम व शर्तों को अधिक पारदर्शी बनाना है, ताकि लोगों को नियमों की जानकारी पहले से मिल सके.
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