जीएसटी विधेयक: एक संक्षिप्त समीक्षा

Jul 21, 2016, 14:48 IST

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) विधेयक अगर इस मानसून सत्र में पास हो जाता है, तो इससे देश के टैक्स संरचना में बड़ा बदलाव होगा.

वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है और इस सत्र में जिस विधयेक पर सबकी नज़र है वह है- गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) विधेयक. इसे वर्तमान सरकार हर हाल में इस सत्र में राज्य सभा से पास करना चाहेगी. लोकसभा से यह विधेयक पहले ही पास हो चुका है. लेकिन इससे संबधित कई ऐसे मुद्दे है, जिसपर विपक्ष को विश्वास में लिए बिना इस बिल को पास करा पाना संभव नहीं लग रहा. लेकिन, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) विधेयक अगर इस मानसून सत्र में पास हो जाता है तो इससे देश के टैक्स संरचना में बड़ा बदलाव होगा. अगर यह बिल संसद में पास हो जाता तो सरकार इस बिल को वर्ष 2016 से ही लागू कर देगी.

जीएसटी के लागू होने से हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा. आम आदमी को जीएसटी से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पूरे देश में सामान पर देश के लोगों को एक ही टैक्स चुकाना होगा. जिससे पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी. वर्तमान में वस्तुओं पर भिन्न-भिन्न प्रकार के टैक्स लगते हैं. यदि जीएसटी लागू होता है तो आप किसी भी राज्य में रहते हो, आपको हर सामान एक ही कीमत पर मिलेगा.

भारत में वर्ष 2006-07 के आम बजट में पहली बार इसका जिक्र किया गया था. इसके तहत वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अधिकतर करों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है. इसके लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो जाएंगे तथा राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो जाएगी.

विदित हो कि राज्य सभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की शक्ति बढ़ी है और राजग के पास 81 सदस्य हैं. वर्तमान में जीएसटी बिल राज्य सभा में पास कराने के लिए कुल 164 सदस्यों का समर्थन चाहिए. ऐसे में इस बिल के लिए समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी तथा कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन मोदी सरकार को पूर्व में ही प्राप्त है. इसके साथ ही साथ पिछले कुछ दिनों में जीएसटी को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच मतभेद कम हुए हैं. मॉनसून सत्र की शुरुआत में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस उस किसी भी विधेयक का समर्थन करेगी, जो देश, जनता और विकास के हित में हो. इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि वह जीएसटी के विरोध में नहीं है. लेकिन उसकी कुछ आशंकाओं का समाधान जरूरी है. कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी दर 18 प्रतिशत रखने, 1 प्रतिशत अतिरिक्त कर से दूर रहने और विवाद निपटारा प्राधिकरण बनाए जाने की बात कही है. कांग्रेस मांग करती रही है कि जीएसटी दरों को संविधान का हिस्सा बनाया जाए. मगर सरकार का कहना है कि यह व्यावहारिक सुझाव नहीं है. अगर भविष्य में सरकार चाहती है कि दरों में बदलाव की जरूरत है, तो फिर से संविधान में संशोधन करना होगा. विश्व के ज्यादातर देशों में जीएसटी दरें कानून के रूप में हैं न कि संवैधानिक स्वरूप में.

ज्ञातव्य हो कि जीएसटी विधेयक में कर की दर को परिभाषित करने की व्यवस्था दी गई है. इन दरों में सामान्य बहुमत से कभी भी बदलाव किया जा सकता है. प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में बनी समिति ने मानक जीएसटी दर 17 से 18 प्रतिशत के बीच रखने का प्रस्ताव किया है. अभी उपभोक्ता औसतन 22-23 फीसद टैक्स चुकाते हैं. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जीएसटी की दर 18 प्रतिशत तय करने के मसले पर सरकार को 19 जुलाई 2016 को प्रमुख क्षेत्रीय दलों और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेष सहारा मिला है. लेकिन कांग्रेस इस बात पर जोर देती रही है कि जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी की दर 18 प्रतिशत रखी जानी चाहिए. ऐसे में अब जीएसटी की दर 18 फीसद तय करने में आम सहमति बनते हुए दिखाई दे रही है.

राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की जून 2016 में जीएसटी मसौदा कानून पर महत्त्वपूर्ण बैठक हुई. इसमें प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए केंद्र सरकार व राज्यों के बीच प्रशासनिक मतभेद को दूर करने के लिए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने एक समिति का गठन किया गया. यह समिति करदाताओं से संबंधित प्रमुख मसलों को चिह्नित करेगी और बातचीत के माध्यम से उनका समाधान करेगी. इन मसलों में प्रशासनिक सीमा और पुनरीक्षण की शक्तियां शमिल हैं.

हाल ही में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने कहा कि संसद के चालू मॉनसून सत्र में यदि जीएसटी पारित होता है तो यह देश के लिए अधिक लाभप्रद सिद्ध होगा. इस समय जबकि मुद्रास्फीति में तेजी है और औद्योगिक वृद्धि में नरमी है, तब जीएसटी विकास संबंधी नकारात्मक स्थितियों से बचाएगा. यह भी कहा गया है कि जीएसटी लागू होने से देशी-विदेशी निवेश बढ़ेगा, महंगाई कम होगी. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने अपनी नई अध्ययन में बताया है कि भारत में जीएसटी के शीघ्र लागू होने से निवेश की चमकीली संभावनाएं आकार ग्रहण कर सकती हैं.

विदित हो कि दुनिया के 150 से अधिक देशों में जीएसटी जैसी कर व्यवस्था लागू है. वस्तुत: लम्बे समय से जीएसटी का लागू होना देश में टैक्स सरलीकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण जरूरत अनुभव की जाती रही है. उल्लेखनीय है कि फिलहाल देश में किसी वस्तु का उत्पादन होता है, तो उस पर राज्य और केंद्र स्तर पर अलग-अलग तरह के टैक्स लगते हैं.

इसमें बात में कोई दो राय नहीं है कि जीएसटी का जो संशोधित विधेयक तैयार हुआ है, वह भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आम लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा. जीएसटी व्यवस्था से उत्पादक प्रदेश और उपभोक्ता प्रदेश दोनों को ही लाभ होगा. क्योंकि, इसमें ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि जो राजस्व वसूल होगा, उसका जितना भाग केंद्र को दिया जाना होगा और जितना भाग राज्य को दिया जाना होगा, वह शीघ्रतापूर्वक केंद्र और राज्य को हस्तांतरित हो जाएगा. इससे कर राजस्व वितरण संबंधी विवादों की संभावना कम होगी तथा देश की अर्थव्यवस्था को एक नई रफ़्तार मिलेगी.

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