केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पी अशोक गजपति राजू ने 21 सितम्बर 2017 को नई दिल्ली में भारतीय विमानन अकादमी (आईएए) के नए परिसर का उद्घाटन किया. इस नए विश्व स्तरीय परिसर के उद्घाटन से आईएए की अपनी प्रशिक्षण और छात्रावास क्षमता दोगुनी से भी अधिक हो जाएगी. आईएए की क्षमता में बढ़ोत्तरी से विमानन क्षेत्र में कुशल कर्मियों की मांग को पूरा किया जा सकेगा.
भारतीय विमानन अकादमी:
भारतीय विमानन अकादमी का गठन 22 जुलाई 2010 को एनआईएएमएआर (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन मैनेजमेंट एंड रिसर्च सोसाइटी) के तहत किया गया था. यह अकादमी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, नागरिक विमानन ब्यूरो और नागरिक विमानन महानिदेशालय का संयुक्त उद्यम है.
भारतीय विमानन अकादमी के उद्देश्य:
इस अकादमी का उद्देश्य विमानन क्षेत्र (हवाईअड्डा और विमानन प्रबंधन, सुरक्षा विनियम, सुरक्षा और अन्य क्षेत्र) में प्रशिक्षण प्रदान करना, अनुसंधान करना और परामर्श सेवाएं प्रदान करना है.
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भारतीय विमानन अकादमी के कार्य:
आईएए हवाई अड्डा परिचालन, विमानन सुरक्षा, हवाई अड्डा इंजीनिरयरिंग, कार्गो प्रबन्धन विमानन की पर्यावरण सम्बन्धी चिंताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है. एएआई आईएसीए, आईएटीए और एसीआई के सहयोग से अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित करता है. एएआई ने आईसीएओ के ‘ट्रेन एयर प्लस’ प्रशिक्षण कार्यक्रम की पूर्ण सदस्यता भी हासिल कर ली है.
संस्थान के निदेशक और संकाय सदस्यों को विमानन उद्योग में कुशल कर्मियों की संख्या का समय-समय पर आंकलन करना चाहिए और पाठ्यक्रमो में प्रासांगिकता के अनुसार परिवर्तन करना चाहिए. भविष्य के कौशल और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के अनुसार नए आईएए कैंपस को सुसज्जित किया गया है.
भारतीय विमानन अकादमी के नए परिसर:
नया आईएए परिसर 8 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें अलग-अलग क्षमताओं वाले 12 प्रशिक्षण हॉल, दो कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सुविधाएं, बैठक कक्ष, पुस्तकालय और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के साथ 200 लोगों के बैठने की क्षमता का सभागार शामिल हैं. छात्रावास में 100 प्रशिक्षुओं के रहने की व्यवस्था है. इसके साथ ही इसमें एक खुला थियेटर, 2 व्यायामशालाएं और विभिन्न खेलों तथा मनोरंजन हेतु सुविधाएं विद्यमान हैं. नए भवन में 200 किलोवाट का सौर ऊर्जा पैनल लगा हुआ है. इसमें सौर ऊर्जा द्वारा 5000 लीटर पानी गर्म करने की व्यवस्था है.
अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन व्यवस्था संचालित करने व इसके प्रबंधन के लिए भविष्य में बड़ी संख्या में पेशेवर कुशल और प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता होगी.
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