ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने 03 दिसंबर 2017 को ईरान के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण का उद्घाटन किया. चाबहार बंदरगाह का निर्माण ईरान में भारत के सहयोग से किया गया है. भविष्य में भारत के लिए इसकी रणनीतिक रूप से अहम भूमिका हो सकती है.
चाबहार बंदरगाह की भौगौलिक स्थिति ओमान की खाड़ी के नज़दीक मौजूद है. इस बंदरगाह की सहायता से भारत अब पाकिस्तान के रास्ते से बचते हुए ईरान और अफगानिस्तान होते हुए नये समुद्री व्यापारिक मार्ग का उपयोग कर सकता है.
चाबहार बंदरगाह के इस पहले चरण को शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के नाम से भी जाना जाता है. ईरान के सरकारी टीवी द्वारा जारी जानकारी में कहा गया कि उद्घाटन समारोह में भारत, कतर, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अन्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का रणनीतिक महत्व
• भारत और ईरान दोनों ही देशों के लिए चाबहार परियोजना का बहुत महत्व है. यह ओमान सागर में अवस्थित यह बंदरगाह प्रांत की राजधानी जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है.
• चाबहार परियोजना से भारत अफ़ग़ानिस्तान तक सामान पहुँचाने का सीधा रास्ता हासिल कर लेगा. इससे पूर्व भारतीय माल को अफगानिस्तान में ढुलाई के लिए पाकिस्तान से होकर गुजरना पड़ता था.
• चाबहार परियोजना द्वारा भारतीय सामान सेंट्रल एशिया और पूर्वी यूरोप तक भेजा जा सकता है.
• चाबहार बंदरगाह परियोजना का रणनीतिक पहलू सबसे अहम है. इसके जरिये भारत और ईरान के द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे जिससे पाकिस्तान और चीन को झटका लगना स्वाभाविक है.
• जिस प्रकार चीन ने ग्वादर परियोजना में भारी निवेश कर पाकिस्तान का समर्थन हासिल किया उसी प्रकार भारत की ओर से भी चाबहार परियोजना में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया है.
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पृष्ठभूमि
इस बंदरगाह के विकास के लिए हालांकि 2003 में ही भारत और ईरान के बीच समझौता हुआ था. मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 150 मिलियन डॉलर के क्रेडिट लाइन को हरी झंडी दी थी. दुनिया में खपत होने वाले तेल का करीब पांचवां हिस्सा रोजाना इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है जो ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर को फारस की खाड़ी से अलग करता है. परमाणु कार्यक्रमों के चलते ईरान पर पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदी लगा दिए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का काम धीमा हो गया था. जनवरी 2016 में यह पाबंदियां हटाए जाने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया. फारस की खाड़ी के बाहर स्थित चाबहार बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी समुद्री तट से पहुंचना आसान है. इस बंदरगाह के जरिये भारतीय सामानों के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक तिहाई कम हो जाएगा
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