भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भारत की सबसे बड़ी मौद्रिक संस्था है. RBI नये नोटों को प्रिंट भी करता है और उन्हें पूरे देश में फैले करेंसी चेस्ट (Currency Chest) के माध्यम से वाणिज्यिक बैंकों और एटीएम नेटवर्क के माध्यम से देश के हर कौने में भेजता है. भारत में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी नोटों की छपाई का काम RBI ही करता है लेकिन 1 रुपये के नोट और सभी सिक्कों को ढालने की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय के ऊपर है. हालाँकि वित्त मंत्रालय एक रूपए के नोट और सिक्कों को अर्थव्यवस्था में RBI में माध्यम से ही बांटता है.
केन्द्रीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का सबसे प्रमुख काम देश में नई-पुरानी करेंसी का संचार करना है. इसमें नई करेंसी और नए सिक्कों का देशभर में वितरण, पुरानी करेंसी को वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से एकत्रित करना और सभी बैंकों में एकत्र हुए अत्यधिक कैश को अपने पास रखने का काम किया जाता है. इन सभी कामों को करने के लिए रिजर्व बैंक को एक ऐसी जगह बनानी पड़ती है जहाँ पर करेंसी को इकठ्ठा किया जाता है. इस जगह को RBI की भाषा में करेंसी चेस्ट कहा जाता है.
करेंसी चेस्ट (Currency Chest) किसे कहते हैं?
करेंसी चेस्ट या "मुद्रा तिजोरी" की स्थापना बैंक नोट के वितरण को सुचारू रूप से चलाने हेतु RBI ने की है. करेंसी चेस्ट खोलने के लिए RBI,बैंकों की चुनिन्दा शाखाओं को अधिकृत करती है. इन करेंसी चेस्ट में RBI के द्वारा बैंक नोटों का भण्डारण किया जाता है. करेंसी चेस्ट अपने पास के क्षेत्र में आने वाले अन्य बैंक की शाखाओं को बैंक नोट की आपूर्ती करता है.
भारत में नोट्स और सिक्के चलन में (रुपए बिलियन में)
करेंसी चेस्ट क्या काम करता है?
देशभर में करेंसी के संचार को बनाए रखने के लिए वर्तमान में रिजर्व बैंक के पास लगभग 4211 करेंसी चेस्ट हैं. इसके अलावा सिक्कों का संचालन करने के लिए उसके पास 3990 डिपो हैं. ये चेस्ट देशभर में फैले हुए हैं क्योंकि वितरित की जाने वाली करेंसी के साथ-साथ इन खजानों में वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जमा कराए गए रुपयों (Cash Reserve Ratio) को भी रखा जाता है.
नोटबंदी की प्रक्रिया के दौरान इन करेंसी चेस्टों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. क्योंकि जो भी पुराने नोट लोगों द्वारा जमा कराये जा रहे थे; सब करेंसी चेस्ट में जमा किये जा रहे थे इसके अलावा RBI द्वारा जिन नये नोटों को प्रिंट किया जा रहा था उनकी प्रिंटिग होने के बाद उसे सीधे देशभर में फैले इन करेंसी चेस्ट में पहुंचा दिया जाता था और आज भी इसी प्रकार की प्रक्रिया से नए नोटों का वितरण किया जाता है.
भारत में कहाँ कहाँ करेंसी चेस्ट स्थित हैं (चित्र में देखें)
करेंसी चेस्ट को स्थापित करने में कौन कौन योगदान दे रहा है?
करेंसी चेस्ट को देशभर में स्थापित करने के लिए रिजर्व बैंक प्रमुख सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का सहयोग लेता है. इसके अलावा इस काम में सभी राष्ट्रीयकृत बैंक, 6 सहयोगी बैंकों, निजी क्षेत्र के कुछ चुने हुए बैंक, 1 विदेशी बैंक, 1 कोऑपरेटिव बैंक और 1 ग्रामीण बैंक को भी शामिल किया जाता है. इस काम को रिजर्व बैंक देशभर में फैले 18 ब्रांच या इशू ऑफिस के जरिए करता है.
भारत की करेंसी नोटों का इतिहास और उसका विकास
कैसे पहुंचाई जाती है चेस्ट में करेंसी
देश के 4 सरकारी प्रेस में करेंसी की प्रिंटिंग होने के बाद उसे सीधे रिजर्व बैंक के 18 इशू ऑफिस में पहुंचाया जाता है. इन ऑफिस तक नई करेंसी को पहुंचाने के लिए एयरफोर्स के माल वाहक विमान, रेलवे और राज्य पुलिस की मदद ली जाती है. शहरों में यातायात के लिए आमतौर पर करेंसी के बड़े स्थानांतरण के लिए निजी क्षेत्र से बड़े कंटेनर वेहिकल किराए पर लिए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ही गोपनीय रखा जाता है. जरुरत के हिसाब से देश के कुछ संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के लिए सेना की मदद भी ली जाती है. इसके बाद करेंसी को रिजर्व बैंक की निगरानी में अन्य बैंकों द्वारा चलाए जा रहे करेंसी चेस्ट में पहुंचा दिया जाता है. हर करेंसी चेस्ट के पास लगभग 20 केश ढोने वाली कारें (cash van) होतीं हैं जिनकी मदद से पैसा अन्य कमर्शियल बैंकों को पहुँचाया जाता है.
(स्टेट बैंक में बने करेंसी चेस्ट में सुरक्षाकर्मी रुपये पहुंचाते हुए)
image source:Business Line
सारांश
करेंसी चेस्ट या कुबेर के खजाने को देशभर में ऐसी चुनिन्दा जगहों पर स्थापित किया गया है कि यह चेस्ट उसके दायरे में आने वाली सभी वाणिज्यिक बैंकों और एटीएम को जरुरत के अनुसार धन उपलब्ध करा सके. इन्ही करेंसी चेस्टों के माध्यम से बैंक की सभी ब्रांचों में पूरे दिन में रुपये की होने वाली मांग की पूर्ती भी की जाती है.
अतः यह कहा जा सकता है कि करेंसी चेस्ट देश भर में करेंसी वितरण का काम आसानी से निपटाने के लिए रिजर्व बैंक की मदद करके देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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