UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : विधुत चुम्बकीय प्रेरण, पार्ट-I

Nov 22, 2018, 14:29 IST

Jagranjosh ki UP Board की सब्जेक्ट एक्सपर्ट टीम  कक्षा 10 विज्ञान के 9th अध्याय विधुत चुम्बकीय प्रेरण के पहले पार्ट का नोट्स उपलब्ध करा रहें हैं, इस आर्टिकल में विज्ञान के 9th चेप्टर के सभी बिन्दुओं को काफी सरल तरीके से समझाया गया है| जो आपके रिविज़न के लिए तथा सभी टॉपिक को ठीक तरीके से समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा|

UP Board class 10th science notes on electromagnetic induction Part I
UP Board class 10th science notes on electromagnetic induction Part I

यहाँ UP Board कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय : विधुत चुम्बकीय प्रेरण के पहले भाग के लिए स्टडी नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहें हैं। विधुत चुम्बकीय प्रेरण यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:

1. फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी नियम

2. विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण का प्रायोगिक प्रदर्शन

3. लेन्ज का नियम

4. लेन्ज के नियम की व्याख्या

5. फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम तथा प्रेरित धारा की दिशा

फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी नियम :

प्रयोगों के आधार पर फैराडे ने विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किए-

electromagnetic induction first image

द्वितीय नियम : “किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल अथवा प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदैव ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है|” इसे ‘लेन्ज का नियम’ भी कहते हैं|

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विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण का प्रायोगिक प्रदर्शन :

इस प्रयोग के लिए फैराडे ने तारों की एक कुण्डली बनाकर उसके परिपथ में एक धारामापी लगाया तथा एक छड़ चुम्बक को इसके समीप लाकर अग्रलिखित प्रयोग किए-

(1) जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुण्डली के समीप लाया जाता है तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप एक दिशा में होता है| इससे स्पष्ट होता है कि चुम्बक की गति से कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, परन्तु जब चुम्बक के इसी ध्रुव N को कुण्डली से दूर ले जाया जाता है तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप पहले से विपरीत दिशा में होता है [चित्र (a) व (b)]|

electromagnetic induction

(2) इसी प्रकार जब चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव S को कुण्डली के समीप लाते है अथवा दूर ले जाते है तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप पहले से विपरीत दिशाओं में होते हैं [चित्र (c) व (d)]|

(3) धारामापी में विक्षेप केवल उस समय तक रहता है, जब तक कि चुम्बक कुण्डली के सापेक्ष गतिशील है|

(4) यदि चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली को चुम्बक के समीप लाएँ अथवा चुम्बक से दूर ले जाएँ, तब भी धारामापी में उसी प्रकार का क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है| इससे स्पष्ट होता है कि कुण्डली में धारा, कुण्डली तथा चुम्बक के बीच सापेक्ष गति (Relative Motion) के कारण उत्पन्न होती है|

(5) जैसे ही गतिशील चुम्बक रुक जाता है, वैसे ही विक्षेप लुप्त हो जाता है|

(6) चुम्बक अथवा कुण्डली को जितनी तेजी से चलाया जाता है, धारामापी में विक्षेप बढ़ जाता है अर्थात् धारा की प्रबलता बढ़ जाती है|

(7) यदि कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ा दि जाए तो धारामापी में विक्षेप बढ़ जाता है अर्थात् धारा की प्रबलता बढ़ जाती है|

लेन्ज का नियम : इस नियम के अनुसार, “किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदैव ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है, जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है|”

लेन्ज के नियम की व्याख्या : यदि किसी चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को किसी बंद परिपथ से जुडी कुण्डली के समीप लाया जाए तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि कुण्डली का चुम्बक के समीप वाला सिरा उत्तरी ध्रुव की भाँति कार्य करेगा और कुण्डली में वामावर्त (anticlockwise) दिशा में धारा उत्पन्न हो जाएगी| उत्तरी ध्रुव बन जाने से यह सिरा समीप आने वाले उत्तरी ध्रुव पर प्रतिकर्षण बल लगाएगा अर्थात् वह चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के पास आने का विरोध करेगा [चित्र(a)]|

इसी प्रकार, यदि उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाएँ तो कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित धारा दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में उत्पन्न होगी तथा चुम्बक के समीप वाला कुण्डली का सिरा दक्षिणी ध्रुव बन जाएगा, जो चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को आकर्षित करेगा अर्थात् चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के दूर जाने का विरोध करेगा [चित्र(b)]|

ठीक इसी प्रकार, जब चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली के समीप लाते हैं अथवा दूर जाते हैं तो प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह चुम्बक की गति का विरोध करती है [चित्र(c) व (d)]|

इसी प्रकार, प्रत्येक स्थिति में चुम्बक को गतिमान करने के लिए विरोधी बल के कारण कुछ यांत्रिक कार्य करना पड़ता है| ऊर्जा-संरक्षण के नियमानुसार यह कार्य हमें कुण्डली में विद्युत ऊर्जा के रूप में प्राप्त होता है; अत: लेन्ज का नियम ऊर्जा-संरक्षण के सिद्धांत का ही एक रूप है| यदि हम चुम्बक को बहुत तेजी से चलाएँ तो हमें उतनी ही तेजी से कार्य करना पडेगा, जिसके कारण कुण्डली में ऊर्जा (उष्मा) उत्पन्न होने की दर उतनी ही अधिक होगी अर्थात् प्रेरित धारा उतनी ही प्रबल उत्पन्न होगी|

अत: जब कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि होती है तो प्रेरित विद्युत वाहक वाहक बल कुण्डली के चुम्बकीय फ्लक्स को कम करने का प्रयत्न करता है और जब कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में कमी होती है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल चुम्बकीय फ्लक्स को बढ़ाने का प्रयत्न करता है|

electromagnetic induction second image

फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम तथा प्रेरित धारा की दिशा : फ्लेमिंग के दाएँ हाँथ के नियम से प्रेरित विधुत धारा की दिशा ज्ञात की जाती है| इस नियमानुसार, ‘’ यदि दाएँ हाँथ का अंगूठा, उसके पास की तर्जनी अंगुली (fore finger) तथा मध्यमा अंगुली (middle finger) को परसपर एक दुसरे के लम्बवत फैला कर इस प्रकार रखें कि तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो तो मध्यमा अंगुली चालक में धारा की दिशा बताएगी “

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Education Desk

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