UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव, पार्ट-I

Nov 21, 2018, 12:07 IST

आज हम UP Board कक्षा 10 विज्ञान के आठवे अध्याय विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव के पहले पार्ट का नोट्स उपलब्ध कर रहें हैं, इस आर्टिकल में विज्ञान के आंठ्वे चेप्टर के सभी बिन्दुओं को काफी सरल तरीके से समझाया गया है| जो आपके रिविज़न के लिए तथा सभी टॉपिक को ठीक तरीके से समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा|

UP Board Class 10 Science Notes
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यहाँ UP Board कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय : विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव के पहले भाग के लिए स्टडी नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहें हैं। विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:

1. प्राकृतिक चुम्बक

2. कृतिम चुम्बक

3. चुम्बक के गुण

4. चुम्बकीय बल रेखाएं

5. चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण

6. धारा-वाही परिनालिका

7. धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बल रेखाएं

विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव :

प्राकृतिक चुम्बक : प्रकृति में सवतंत्र रूप से पाए जाने वाले ऐसे पत्थरों को जो चुम्बकीय गुण रखते हैं; प्राकृतिक चुम्बक कहते हैं| यह लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है; जैसे-मग्नेशिया नामक स्थान पर पाए गए मेग्नेटाइट के पत्थर| यह पत्थर लोहे का ऑक्साइड है| इनकी प्रबलता अधिक नहीं होती और इनकी कोई निश्चित आकृति भी नहीं होती है|

कृतिम चुम्बक : कृतिम विधियों के द्वारा बनाये गये चुम्बक को कृतिम चुम्बक कहते हैं| साधारणतः ये लोहे, कोबाल्ट, इस्पात के बनाये जाते हैं| कृतिम चुम्बक विभिन्न आकृतियों के बनाये जाते हैं; जैसे- नाल चुम्बक, चुम्बकीय सुई, चुम्बकीय कम्पास आदि| इनकी लोहे के टुकडो को आकर्षित करने की शक्ति प्रकिर्तिक चुम्बकों से काफी अधिक होती है|

चुम्बक के गुण :

1. चुम्बक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है और चुम्बक के इसी गुण को चुम्बकत्व कहते हैं| चुम्बक के सिरों के समीप ये अधिक होता है और चुम्बक की मध्य की ओर यह कम होता है| और देखा जाये तो ये चुम्बक के ठीक मध्य में शून्य होता है|

2. चुम्बक को सवतंत्रता-पूर्वक लटकाने पर इसका एक ध्रुव हमेशा उत्तर की ओर और दूसरा ध्रुव उत्तर की और होता है| जिन्हें क्रमशः उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव कहते हैं|

3. दो चुम्बकों के दो विजातीय ध्रुव यानि उत्तरीय और दक्षिणी ध्रुव एक दुसरे को आकर्षित करते हैं| और दो सजातीय ध्रुव यानि दक्षिणी-दक्षिणी या उत्तरीय-उत्तरीय ध्रुव एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते हैं|

4. एक अकेले चुम्बकीय ध्रुव का कोई महत्व नहीं होता है यानि यदि चुम्बक को तोड़ दिया जाए तो उनके पुनः दो ही ध्रुव होंगे और इनका प्रत्येक भाग एक पूर्ण चुम्बक होगा|

चुम्बकीय बल रेखाएं : किसी चुम्बकीय क्षेत्र में बल रेखाएं वह काल्पनिक रेखाएं हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को कंटीन्यूअस यानि अविरत प्रदर्शित करता है| इन रेखाओं के किसी बिंदु पर खिंची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है|

चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण :

1. चुम्बक के बाहर इन बल रेखाओं की दिशा उत्तरीय ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरीय ध्रुव की ओर होती है| इस तरह यह बंद वक्र के रूप में होते हैं|

2. चुम्बकीय रेखा के किसी बिंदु पर खिंची गई स्पर्श रेखा उस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करते हैं|

3. चुम्बकीय बल रेखाएं एक दुसरे को कभी नहीं काटती, इसका कारण यह है की एक बिंदु पर दो रेखाएं संभव नहीं हैं|

4. किसी स्थान पर चुम्बकीय बल र्रेखाओं की सघनता उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्र्मनुपति होता है|

5. एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की चुम्बकीय रेखाएं, परस्पर समांतर एवं बराबर दूरियों पर होती हैं|

धारा-वाही परिनालिका : यह विधुतरोधी तार की बनी एक बेलनाकार कुंडलिनी होती है जिसका व्यास उनकी लम्बाई से बहुत कम होता है| प्रयोगशाला में इसे कार्ड-बोर्ड अथवा मोटे कागज़ की कम व्यास की खोखली अथवा बेलनाकार नली के ऊपर विधुतरोधी तार के बहुत से फेरे पास-पास लपेट कर बनाया जाता है| जब किसी सेल के द्वारा इस कुंडलिनी में विधुत धारा प्रवाहित करते हैं तो यह एक दण्ड अथवा छड़ चुम्बक की भांति व्यवहार करती है| इन तथ्य को हम कुछ प्रयोगों द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं|

electric circuit diagram

प्रयोग 1. यदि धारावाही परिनालिका को सवतंत्र रूप से लटकाएं तो वह एक निश्चित दिशा में ठहरती है :

यदि धारावाही परिनालिका को लगभग 1मीटर लम्बे बिना बटे धागे से लटका दें तो धारावाही परिनालिका किसी भी स्तिथि में ठहर जाती है| लेकिन जैसे ही इसमें विधुत धरा प्रवाहित की जाती है तो धारा परिनालिका उत्तर-दक्षिण दिशा में ही ठहरती है| ऐसा ही व्यवहार एक छड़ चुम्बक का भी होता है| धारावही परिनालिका का जो सिरा उत्तर की ओर होता है उसे उत्तरीय ध्रुव तथा जो सिरा दक्षिण की ओर होता है उसे दक्षिणी ध्रुव कहते हैं|

प्रयोग 2. दो धारावाही परिनालिका के बीच परस्पर चुम्बकीय आकर्षण और प्रतिकर्षण होता है :

magnet repulsion and attraction

यदि लटकी हुई धारावाही के उत्तरीय ध्रुव के समीप दूसरी धारावाही परिनालिका के दक्षिणी ध्रुव को लाया जाए तो ये दोनों धारावाही परिनालिकाएं एक दुसरे को आकर्षित करती हैं, परन्तु लटकी हुई धारावाही परिनालिका के उत्तरी ध्रुवों के समीप दूसरी धारावाही परिनालिका के उत्तरीय ध्रुव को लाया जाता है तो ये दोनों धारावाही परिनालिकाएं एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं| इस प्रकार दो चुम्बकों के समान के समान, दो धारावाही परिनालिकाओं के विजातीय ध्रुव एक दुसरे को आकर्षित करते हैं तथा सजातीय ध्रुव एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते हैं|

धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बल रेखाएं : इसके लिए तांबे के मोटे तार को एक क्षैतिज गत्ते के सुराखों में से निकल कर परिनालिका में मोड़ते हैं तथा इसमें सेल से विधुत धरा प्रवाहित करते हैं| अब गत्ते पर सफ़ेद कागज़ चिपका कर कम्पास सुई की सहायता से बल रेखाएं खींचते हैं|

magnetic effect of current

परिनालिका की अक्ष पर बल रेखाओं का समांतर होना यह प्रदर्शित करता है कि धारा-वाही परिनालिका का अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एकसमान होता है| बल रेखाओं का पास-पास होना यह प्रदर्शित करता है कि वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल है| चुम्बकीय बल रेखाएं धारावाही परिनालिका के दक्षिणी ध्रुव से अन्दर की ओर जाती हैं तथा उत्तरीय ध्रुव से बाहर की ओर निकलती हैं|

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Jagran Josh
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Education Desk

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