केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 7 अप्रैल 2015 को उद्योगों को उनकी प्रदूषण करने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत करने के उद्देश्य से एक रंग कोड आधारित प्रणाली का प्रस्ताव रखा.
उद्योगों को लाल,नारंगी और हरे रंग के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा.
यह प्रस्ताव दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय राज्य पर्यावरण और वन मंत्रियों के सम्मेलन में रखा गया. इस सम्मेलन का उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करते हुए व्यापार में सुधार करने हेतु नियमों में संशोधन करना था.
प्रस्तावित रंग कोड
•लाल रंग : उद्योग क्षेत्रों जिनका अंक 60 और उससे अधिक है
•नारंगी रंग: उद्योग क्षेत्रों जिनका अंक 30 से 59 तक हो
•हर रंग : उद्योग क्षेत्रों जिनका अंक 15 से 29 तक हो
15 से नीचे स्कोर करने वाले औद्योगिक क्षेत्रों को सफेद रंग से प्रदर्शित किया जाएगा जिसका अर्थ होगा की वे पर्यावरण के अनुकूल हैं .
उद्योगों के लिए नई नवीकरण प्रणाली
•नई प्रणाली के आधार पर वह औद्योगिक क्षेत्र जो लाल श्रेणी के अंतर्गत आते उनका नवीकरण पाँच साल में होगा .
•वह औद्योगिक क्षेत्र जो नारंगी श्रेणी के अंतर्गत आते उनका नवीकरण 10 साल में होगा.
•वह औद्योगिक क्षेत्र जो हरी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं उन्हें एक बार ही प्रमाणित किया जाएगा.
•इसके अलावा उद्योगों की गुणवत्ता को प्रदर्शित करने के लिए ‘स्टार कोड’ का भी प्रयोग किया जाएगा.
दो दिवसीय इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के 30 मंत्रियों ने भाग लिया. सम्मेलन के दौरान धन की बर्बादी, व्यापार करने के लिए सुगम वातावरण, टीएसआर सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिशों, वन, वन्य जीवों, प्रदूषण से संबंधित मुद्दों, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
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