सत्यम घोटाले में हैदराबाद की विशेष न्यायालय ने 9 अप्रैल 2015 को कंपनी के पूर्व चेयरमैन बी रामलिंग राजू को सात वर्ष की जेल की सज़ा सुनाई. अभियुक्त रामलिंगा राजू को आईपीसी की धारा 120बी, 420, और 409 के तहत दोषी क़रार दिया गया. न्यायालय ने राजू पर पाँच करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया.
विदित हो कि देश की सबसे बड़ी लेखा-धोखाधड़ी का ‘सत्यम घोटाला’ का मामला 7 जनवरी 2009 को तब सामने आया, जब कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन अध्यक्ष बी रामालिंगा राजू ने कथित तौर पर अपनी कंपनी के बहीखाते में हेराफेरी और वर्षों तक करोड़ों रुपये का मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की बात कबूल की.
आमदनी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने, खाता में हेरफर, फर्जी सावधि जमा के साथ ही विभिन्न आयकर कानूनों का उल्लंघन करने के सिलसिले में राजू और अन्य पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत गलत रिटर्न भरने, फर्जीवाड़ा, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया था. फरवरी 2009 में सीबीआई को सत्यम घोटाले के जांच का जिम्मा सौंपा गया.
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