केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने 27 अक्टूबर 2017 को भारत सरकार के केन्द्रीय क्षेत्र की सभी योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य उपयोग से क्रियान्वयनकारी एजेंसियों तक धनराशि के होने वाले प्रवाह की निगरानी करने की प्रणाली का शुभारंभ किया.
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में केन्द्रीय क्षेत्र की सभी योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य उपयोग का शुभारंभ करने के बाद वित्त एवं अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे.
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योजना का उद्देश्य
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएफएमएस द्वारा धनराशि की निगरानी संभव होने से यह पता लगाया जा सकता है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों की क्रियान्वयनकारी एजेंसियों द्वारा धनराशि के उपयोग की वास्तविक स्थिति क्या है. उन्होंने कहा कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन का अंतिम उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि उसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक अवश्य पहुंच जाए. वित्त मंत्री ने इस संबंध में विशेषकर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांततरण (डीबीटी) व्यवस्था के जरिए विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन का उल्लेख भी किया.
इसका शुभारंभ केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और केन्द्र सरकार के विभिन्नि मंत्रालयों/विभागों के वित्तीय सलाहकारों (एफए) की मौजूदगी में किया गया.
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में वित्त सचिव अशोक लवासा ने कहा कि पीएफएमएस से न केवल धनराशि पर पूरी तरह नजर रखने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे समय पर धन का हस्तांनतरण भी सुनिश्चित होगा.
अशोक लवासा ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में केन्द्रीय क्षेत्र की 13 योजनाएं पीएफएमएस के दायरे में आ चुकी हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में पीएफएमएस की गति काफी तेज रही है तथा पीएफएमएस के जरिए योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रणाली में पारदर्शिता आई है.
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