बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा में पारित हुआ.
विधयेक पारित होने के लिए दो तिहाई मतों की आवश्यकता के स्थान पर सभी 197 सांसदों ने पक्ष में वोट डाला. इससे पहले राज्यसभा में जीएसटी बिल पर लंबी चर्चा हुई.
राज्यसभा में जीएसटी के लिए संविधान संशोधन बिल (122वें संशोधन) को राज्यसभा में पारित किया गया. वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली से काले धन पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा तथा प्रभावी कराधान प्रणाली का मार्ग प्रशस्त होगा.
इसे अप्रैल 2017 से लागू किया जायेगा.
विधेयक में किये गये संशोधन
• राज्यों के बीच व्यापार पर 1 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा. मूल विधेयक में राज्यों के बीच व्यापार पर 3 वर्ष तक 1 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगता था.
• जीएसटी से नुकसान होने पर अब 5 वर्ष तक 100 प्रतिशत मुआवजा मिलेगा. मूल विधेयक में 3 वर्ष तक 100 प्रतिशत, चौथे साल में 75 प्रतिशत और 5वें वर्ष में 50 प्रतिशत मुआवजे का प्रस्ताव था.
यह भी पढ़ें: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटी विधेयक में संशोंधनों को मंजूरी दी
• विवाद सुलझाने के लिए नयी व्यवस्था की गई है, जिसमें राज्यों को पहले की तुलना में अधिक अधिकार दिए गये हैं. पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान आधारित थी, जिसमें दो-तिहाई वोट राज्यों के पास और एक तिहाई केंद्र के पास थे.
• विधेयक में जीएसटी के मूल सिद्धांत को परिभाषित करने वाला एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जिसमें राज्यों और आम लोगों को नुकसान नहीं होने का आश्वासन दिया जाएगा.
जीएसटी विधेयक के कानून बनने की प्रक्रिया
संविधान संशोधन विधेयक पर संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति के पश्चात् कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी आवश्यक है. इसके बाद राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ये कानून बनेगा. इसके बाद केंद्र सरकार को सेंट्रल जीएसटी और राज्य सरकारों को स्टेट जीएसटी से जुड़े कानून बनाने होंगे. केंद्र सरकार को इंटिग्रेटेड जीएसटी के लिए अलग से कानून बनाना होगा. यह सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जीएसटी के नियम बनाए जाएंगे.
यह भी पढ़ें: जीएसटी विधेयक: एक संक्षिप्त समीक्षा
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation