भारत में खेल : समस्याएं और उन्हें सुधारने के उपाय

Oct 30, 2017, 12:06 IST

सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का भारतीय खेल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. गरीबी और खेलने के लिए स्टेडियम जैसे पर्याप्त बुनियादी आवश्यक्ताओं की कमी, खेल में भाग लेने के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित न करना आदि कारणों से देश में खेल की दिशा में सकारात्मक विकास का आभाव दिखता है.

Sports in India: Problems and reform measures
Sports in India: Problems and reform measures

हाल ही में केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर द्वारा किये गए एक ट्विट से ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) में निहित प्राधिकरण शब्द की अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गयी है. साथ ही मंत्री जी ने ऐसे खिलाड़ियों की दयनीय स्थिति पर चिंता जतायी जो अपने बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. खेल की वर्तमान स्थिति पर मंत्री जी की टिप्पणी से देश भर में खेल के वातावरण में सुधार को लेकर एक बहस छिड़ गयी है. इस पृष्ठभूमि में भारत में खेल को प्रभावित करने वाले कारकों तथा उनकी स्थिति में सुधार की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है.

भारत में खेल के पिछड़ेपन का कारण

1. खेल अधिकारियों का भ्रष्टाचार और गलत प्रबंधन :

भ्रष्टाचार भारत में खेल प्रशासन का पर्याय बन गया है. चाहे कोई भी खेल हो, हर जगह एक समान स्थिति है. ज्यादातर खेल अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.इसके अतिरिक्त  2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में खेल संगठनों के प्रशासन में राजनेताओं की भागीदारी और उनके विवादों में शामिल होने की  वजह से प्रशासकों की छवि धूमिल हुई है.

2. सामाजिक और आर्थिक असमानताएं :

सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का भारतीय खेल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. गरीबी और खेलने के लिए स्टेडियम जैसे पर्याप्त बुनियादी आवश्यक्ताओं की कमी, खेल में भाग लेने के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित न करना आदि कारणों से देश में खेल की दिशा में सकारात्मक विकास का आभाव दिखता है.

3. इन्फ्रास्ट्रक्चर का आभाव:
यह भारत में खेल की उदासीनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है. चूंकि बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षण और आयोजन खेल के लिए आवश्यक है, इसकी अनुपलब्धता और समाज के केवल कुछ ही हिस्सों तक इसकी पहुंच ने खेल की भागीदारी और खेल तथा खिलाड़ी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है.

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4. नीतिगत कमी :

किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए  एक प्रभावी नीति तैयार कर उसका सही निष्पादन आवश्यक होता है. यह बात खेल के लिए भी समान रूप से लागू होती है. संसाधनों की कमी तथा राज्य और स्थानीय सरकारों की विशेषज्ञता के कारण देश में अभी तक खेल नीति की योजना बनाना और उसका पालन करने की प्रक्रिया सेंट्रलाइज्ड है. इसके अतिरिक्त संघ स्तर पर खेल के लिए एक अलग मंत्रालय का अभाव खेल के प्रति उदासीनता को दर्शाता है.

5. संसाधनों के अल्प आवंटन :

अन्य विकसित और विकासशील देशों की तुलना में  वित्तीय संसाधनों का आवंटन भारत में बहुत कम है. 2017-18 के केंद्रीय बजट में 1943 करोड़ रुपये खेल के लिए आवंटित किए गए थे. हालांकि, यह पिछले साल के मुकाबले 450 करोड़ रुपये अधिक है, लेकिन यूके द्वारा खेल क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष लगभग 9 000 करोड़ खर्च किये जाने की तुलना में यह बहुत कम है.

खेलों की इस स्थिति में सुधार करने के लिए  हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने कई पहल की हैं. उनमें से कुछ हैं -

• सितंबर 2017 में  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017-18 से 2019 -20 की अवधि के दौरान 1756 करोड़ रुपये की लागत से खेलो इंडिया प्रोग्राम को मंजूरी दी. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य खेल विकास, व्यक्तिगत विकास, सामुदायिक विकास, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए एक उपकरण के रूप में काम करना है. खेलो इंडिया प्रोग्राम पूरे खेल पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करेगा, जिसमें बुनियादी ढांचे, सामुदायिक खेल, प्रतिभा की पहचान, उत्कृष्टता के लिए प्रशिक्षण, प्रतियोगिता संरचना और खेल अर्थव्यवस्था भी शामिल है.

• मार्च 2017 में  देश के विभिन्न खेलों के विकास के लिए पहली बार राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में सरकार द्वारा 12 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की नियुक्ति की गई. अन्य जिम्मेदारियों के लिए  वे राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों के स्थानों पर मौजूदा खेल के बुनियादी ढांचे / उपकरणों, वैज्ञानिक बैकअप और चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन करते हैं और समीक्षाजन्य कमियों को उजागर करते हैं.

• "राष्ट्रीय खेल संघों की सहायता" “Assistance to National Sports Federations”, की योजना के तहत  सरकार राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों / महिलाओं के प्रदर्शन, प्रशिक्षण और भागीदारी के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.

• आगामी 2020 ओलंपिक के लिए अपने प्रशिक्षण में एथलीटों को सर्वाधिक सहायता प्रदान करने के लिए  सरकार ने विदेशी कोचों और सहायक स्टाफ की नियुक्ति को मंजूरी दी है.

• अप्रैल 2016 में केन्द्रीय क्षेत्र की योजना खेलो इंडिया - खेल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई थी.  इस योजना के अंतर्गत राजीव गांधी खेल अभियान, शहरी खेल बुनियादी ढांचा योजना और राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज प्रणाली कार्यक्रम आदि शामिल हैं.

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निष्कर्ष

सरकार द्वारा उठाए गए उपरोक्त उपायों के बावजूद देश में खेल की गुणवत्ता सराहनीय नहीं है. 1.25 अरब से अधिक आबादी वाले देश के लिए  मौजूदा खेल ढांचे संतोषजनक नहीं है. विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और सरकार का अपर्याप्त समर्थन ओलंपिक जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारतीय एथलीटों के खराब प्रदर्शन में साफ परिलक्षित होता है . क्यूबा, क्रोएशिया और लिथुआनिया जैसे छोटे देशों ने भारत की तुलना में 2016 ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन किया., सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को भारतीय खेल क्षेत्र को इस वर्तमान दु:खद स्थिति से ऊपर उठाने के लिए एक साथ आने का प्रयास करना चाहिए. बीएससीआई के लिए न्यायमूर्ति लोधा समिति  द्वारा किये गए सिफारिशों को अन्य सभी खेल निकायों के लिए लागू करना इस दिशा में सार्थक पहल सिद्ध हो सकता है.

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