दूरसंचार आयोग ने 28 मार्च 2016 को 112 को देश के एकल आपातकाल नंबर के रूप में मंजूरी प्रदान की. यह अमेरिका में 911 एवं इंग्लैंड में 999 की तर्ज पर बनाया गया है.
भारत का कोई भी नागरिक आपात अवस्था में 112 डायल करके आपातकाल सुविधाओं जैसे – पुलिस, एम्बुलेंस आदि का लाभ उठा सकता है.
यह उन लैंडलाइन एवं मोबाइल फोन पर भी उपलब्ध होगा जिनकी आउटगोइंग कॉल सुविधा बंद कर दी गयी है अथवा अस्थाई रूप से निलंबित कर दी गयी है.
उपयोगकर्ता एसएमएस द्वारा भी इस सेवा का उपयोग कर सकता है. एसएमएस भेजने वाले की लोकेशन सिस्टम द्वारा स्वतः ही दर्ज कर ली जाएगी एवं उसे सहायता मुहैया कराई जाएगी.
इसे एक कॉल सेंटर के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा जिसमें हिंदी, इंग्लिश एवं स्थानीय भाषाओँ में आरंभ किया जायेगा.
अन्य सभी आपातकाल नंबर जिसमे पुलिस (100) एम्बुलेंस (102) एवं आपातकाल आपदा प्रबंधन (108) एक वर्ष के भीतर समाप्त किये जायेंगे.
वर्तमान में विभिन्न राज्यों द्वारा विभिन्न आपात सेवाओं के लिए अलग-अलग नंबर प्रयोग किये जा रहे हैं जैसे दिल्ली में महिला सहायता के लिए 181, गुमशुदा बच्चों एवं महिलाओं के लिए 1094, महिलाओं के साथ अत्याचार के लिए 1096 नंबर कार्यरत हैं तथा उत्तर प्रदेश में पुलिस मुख्यालय का संपर्क नंबर 1090 है.
सेवा आरंभ करने के कारण
इसे विभिन्न कारणों से आरंभ किया गया. 100 नंबर सबसे अधिक प्रचलित नंबर है लेकिन यह समाज के सभी वर्गों की समस्याओं के लिए उपयुक्त नहीं है.
दूरसंचार नियामक ट्राई ने अप्रैल 2015 को यह सुझाव दिया था कि 112 को देशव्यापी आपातकाल नंबर के रूप में आरंभ किया जा सकत है.
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