Piggy बैंक (गुल्लक): उत्पत्ति और उसके नाम के पीछे की कहानी

Jan 9, 2017, 10:44 IST

मध्य युग के दौरान पंद्रहवीं सदी में धातु बहुत महंगा था और शायद ही कभी घर के सामान के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उस समय घरेलू बर्तनों के निर्माण में धातुओं के बजाय "piggy" नामक एक 'किफायती मिट्टी' का प्रयोग किया जाता था| उन्नीसवीं सदी में अंग्रेजी कुम्हारों ने “Piggy बैंक” या गुल्लक को सुअर के आकार का बना दिया था |

“Piggy” शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? (How the Term Piggy Originated)

भाषाई इतिहासकारों के अनुसार मध्य युग के दौरान PYGG शब्द को "पग" पढ़ा जाता था। धीरे-धीरे बोली के विकास के साथ "Y" की ध्वनि का उच्चारण पहले "U"और बाद में "I" के रूप में होने लगा|18 वीं शताब्दी आते आते "PYGG" शब्द का उच्चारण "पिग" के रूप में किया जाने लगा जो "सुअर" नामक जानवर के लिए भी प्रयुक्त होता था|

पिग्गी बैंक या गुल्लक का इतिहास (History of Piggy Bank)

मध्य युग के दौरान पंद्रहवीं सदी में धातु बहुत महंगा था और शायद ही कभी घर के सामान के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उस समय घरेलू बर्तनों के निर्माण में धातुओं के बजाय "piggy" नामक एक 'किफायती मिट्टी' का प्रयोग किया जाता था| घर में जब कभी भी गृहिणियों के पास अतिरिक्त सिक्का बचता था, तो वे इसे "piggy " नामक मिट्टी के बने जार में रखती थीं| उस समय उस जार को piggy बैंक या गुल्लक के नाम से जाना जाता था| अगले दो-तीन सौ वर्षों में, लोग भूल गए कि "pggy "शब्द मिट्टी से बने बर्तन के लिए प्रयोग किया जाता था| उन्नीसवीं सदी में जब अंग्रेजी कुम्हारों को “piggy बैंक” या गुल्लक बनाने के ऑर्डर प्राप्त हुए तो उन्होंने सुअर के आकार वाले गुल्लकों का निर्माण करना शुरू किया (क्योंकि अंग्रेजी में सुअर को PIG कहा जाता है)। धीरे-धीरे सुअर के आकार वाले इन गुल्लकों को ग्राहकों और बच्चों के द्वारा काफी पसन्द किया जाने लगा और फिर इनका नाम हमेशा के लिए पिग्गी बैंक ही पड़ गया |

history of piggy bank

image source:The Financial Brand

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बचत को पिग्गी बैंक या गुल्लक से प्रदर्शित करना भारत के सन्दर्भ में कितना तर्कपूर्ण है ?

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि गाय, भेंस और  बकरी चारा तथा अन्न खाते हैं जिसकी लागत किसानों को वहन करनी पड़ती है उसके बाद ही ये जानवर किसान के लिए कुछ धन अर्जन का श्रोत बनते हैं | लेकिन क्या आप यह बात जानते है कि यह बात भारत के ग्रामीण इलाकों में पाये जाने वाले जानवर “सुअर” के केस में लागू नही होती है क्योंकि:-

ग्रामीण इलाकों में रहने वाला सुअर इसके मालिकों द्वरा खुला छोड़ दिया जाता है जो कि वहां उस इलाके में मल, घास फूंस, शादी जैसे मौकों पर फेका गया भोजन इत्यादि की मदद से अपना पेट भर लेते हैं | इसका मतलब यह हुआ कि सुअर के मालिकों को सुअर रखने में किसी भी लागत को सहन नही करना पड़ता है यानि कि 100% बचत| जब ये सुअर बड़े हो जाते हैं तो महंगे दामों पर बाजार में बिक जाते हैं क्योंकि सुअर के शरीर में बहुत चर्बी (fat) होती है जिसकी बाजार में बहुत मांग होती है| इस प्रकार सुअर रखने वाला व्यक्ति बिना किसी लागत के सुअर पालकर लाभ कमा लेता है |

pig eating in india

image source:IndiaMike.com

इस प्रकार सुअर को गुल्लक या पिग्गी बैंक के रूप में दिखाना भारत के सन्दर्भ में अभी तक तो बिलकुल सही कहा जा सकता है लेकिन ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद सुअर को बचत का प्रतीक मानना सही होगा या नही यह तो भविष्य ही बतायेगा |

भारत में लगभग हर घर में कम से कम एक पिग्गी बैंक जरूर होती है जिसका सीधा मतलब बाजार इत्यादि जगहों पर मिले खुल्ले सिक्कों को जमा कर बचत को बढ़ाना होता है | कुछ घरों में तो हर बच्चे को एक-एक पिग्गी बैंक या गुल्लक दे दी जाती है इसका सीधा सा मतलब बच्चों में बचपन से ही बचत करने की आदत को बढ़ावा देना होता है |

piggy bank with indian kids

image source:Hindustan Times

इन्ही उपर्युक्त कारणों से सुअर को बचत का प्रतीक माना जाता है और पिग्गी बैंक या गुल्लक को सुअर के आकार का बनाया जाता है | कई मामलों में तो बड़ी-बड़ी बैंकें और वित्तीय कम्पनियाँ अपने बचत उत्पादों जैसे म्यूच्यूअल फण्ड, बचत खाता, बीमा पालिसी इत्यादि (savings products) को बेचने के लिए पिग्गी बैंक को “लोगो” के रूप में विज्ञापनों में छापतीं हैं जिससे यह बताया जा सके कि यह उत्पाद/  योजना उनके लिए निश्चित रूप से लाभदायक है |

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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