सरकार ने 23 अप्रैल 2015 को अंटार्कटिक एवं महासागर अनुसंधान केन्द्र, गोवा (एनसीएओआर) को ध्रुवीय अनुसंधान वाहन (पीआरवी) खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री, वाई एस चौधरी के अनुसार 1051 करोड़ रूपए की कीमत वाले ध्रुवीय अनुसंधान वाहन (पीआरवी) खरीदने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने सहमति जताई.
यह वाहन अंटार्कटिका क्षेत्र में भारत के दो ठिकानों (मैत्री और भारती) में अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. इससे दक्षिणी महासागर तथा अंटार्कटिक क्षेत्र के निकटवर्ती स्थानों पर शोध में सहायता भी मिलेगी.
भारत द्वारा अंटार्कटिक में पहला वैज्ञानिक अभियान 1981 में किया गया तब से लेकर अब तक भारत केवल चार्टेड वाहनों पर ही निर्भर है. अभी तक प्रयोग होने वाले वाहन आइस-क्लास वाहन थे जिन्हें समुद्र विज्ञान अनुसंधान कार्यों के लिए अनुपयुक्त माना जाता है.
देश के ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी नोडल एजेंसी एनसीएओआर को पीआरवी की खरीद तथा समन्वय कार्य सौंपा गया था.
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