केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 23 अप्रैल 2015 को अमेरिका के फोर्ड फाउंडेशन को अपनी निगरानी सूची में रखा.
मंत्रालय ने सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह निर्णय लिया. एजेंसियों ने पाया कि फोर्ड फाउंडेशन ने जिन संस्थाओं से वित्त प्राप्त किया है, वे विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं हैं.
गृह मंत्रालय ने फोर्ड फाउंडेशन के फंड की सभी गतिविधियों पर नजर रखने का फैसला किया और विदेशी चंदा नियमन कानून, 2010 की धारा 46 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस संगठन से आने वाले धन के बारे में गृह मंत्रालय को संज्ञान में रखा जाए.
गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, आरबीआई से अनुरोध है कि सभी बैंकों और उनकी शाखाओं को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि विदेशी एजेंसी से भारत में किसी व्यक्ति, गैर सरकारी संगठनों, संगठन को प्राप्त होने वाले किसी भी निधि को गृह मंत्रालय के संज्ञान में लाया जाए ताकि मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही प्राप्तकर्ता के खातों में धन जमा किया जा सके.
इस निर्णय से मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि फोर्ड फाउंडेशन से आने वाले धन का इस्तेमाल राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की चिंताओं से समझौता किये बिना उचित सही गतिविधियों में किया जा सके.
इस निर्णय के बाद फोर्ड फाउंडेशन अमेरिका से आने वाले सभी निधियों को गृह मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद ही प्राप्त कर पाएगी.
इससे पहले गुजरात सरकार ने गृह मंत्रालय से फोर्ड फाउंडेशन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि यह संस्था देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है तथा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के गैर सरकारी संगठन के माध्यम से सांप्रदायिक वैमनस्य को भी उकसा रही है.
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