जहाजरानी मंत्रालय तथा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ लाइटहाउस एंड लाइट शिप्स (डीजीएलएल) ने 13 अक्टूबर 2015 को देश में मौजूद 78 लाइटहाउसों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत विकसित करने का कार्यक्रम आरंभ किया.
इस परियोजना के तहत गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह का चयन किया गया है.
इन लाइटहाउसों से सटे क्षेत्रों में होटल, रिजोर्ट, गैलरी, समुद्री संग्रहालय, खेल सुविधाएं, रेस्तरां, दुकानें, लेजर शो, स्पा तथा एम्फीथिएटर भी होंगे.
लाइट हाउस को पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने का उद्देश्य
जहाजरानी मंत्रालय एवं डीजीएलएल सम्पूर्ण भारत में निम्नलिखित उद्देश्यों के चलते भारत में लाइटहाउसों को पर्यटक क्षेत्रों के रूप में विकसित करना चाहता है:
• मौजूदा लाइटहाउसों एवं उनके आसपास के क्षेत्रों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना.
• मौजूदा पर्यटन स्थलों की पहचान करना और संभव पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास करना.
• वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य हस्तक्षेप को एकीकृत करके पीपीपी के अंतर्गत परियोजनाओं का विकास करना एवं उनके लिए उत्तम स्थानों का चयन करना.
डीजीएलएल पहले ही आठ लाइटहाउसों के विकास हेतु योग्यता के लिए अनुरोध का आग्रह कर चुका है. यह स्थान हैं, अगुआदा (गोवा), चंद्रभाग (ओडिशा), महाबलीपुरम, कन्या कुमारी, मुत्तोम (तमिलनाडु), कडलूर पॉइंट (केरल, कन्होजी अंगरे एवं संक रॉक (महाराष्ट्र) एवं मिनिकॉय (लक्षद्वीप).
भारत में लाइट हाउस पर्यटन
परंपरागत रूप से, लाइट हाउस का प्रयोग सदियों के लिए नाविकों के लिए नेविगेशन के बीकन के रूप में किया जाता रहा है. इक्कीसवीं शताब्दी से इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाने लगा क्योकि यहां से पर्यटक उस क्षेत्र का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं.
लाइट हाउसों की इस विलक्षण क्षमता के चलते, जहाजरानी मंत्रालय ने इन स्थलों का चयन करके इन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है.
भारत की 7517 किलोमीटर लम्बी समुद्री तट रेखा पर 189 लाइट हाउस स्थित हैं. इन क्षेत्रों में बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप भी शामिल हैं. प्रत्येक लाइट हाउस का अपना इतिहास एवं विशेषता रही है.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation