एक नए अध्ययन द्वारा यह पता चला है कि अलग-अलग रंगों की शिमला मिर्च का सेवन करने से मधुमेह और मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है. अध्ययन के निष्कर्ष 13 अप्रैल 2015 को नेशनल प्रोडक्ट्स रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित हुए.
यह शोध वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता सीएसआईआर- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) के वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार तिवारी ने की.
उन्होंने इस प्रयोग के लिए हरे, पीले और लाल रंग की शिमला मिर्च का उपयोग किया तथा एंटी-हाइपरग्लेकेमिक प्रयोग किये जिसमें उन्हें उत्साहजनक परिणाम मिले.
वैज्ञानिकों ने खासतौर से शिमला मिर्च में पाचन एन्ज़ाईमों, कार्बोहाइड्रेट क्लेविंग एन्ज़ाईम एवं लिपिड स्लाईसिंग एन्ज़ाईम का पता लगाने के लिए किया था. वैज्ञानिकों ने पाया कि पीले एवं लाल शिमला मिर्च के सेवन से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है. यह पाया गया कि पीली शिमला मिर्च, हरी शिमला मिर्च की तुलना में एल्फा-ग्लूकोसिडेस एवं लिपेज़ एन्ज़ाईम को बढ़ने से रोकती है.
परिणामस्वरूप जब शरीर में कार्बोहाइड्रेट एवं लिपिड का बनना कम हो जाता है तो शरीर में हाइपरग्लेकेमिया की मौजूदगी के आसार भी कम हो जाते हैं.
अध्ययन के निष्कर्ष
पीली शिमला मिर्च प्राकृतिक तौर पर हरी शिमला मिर्च से बेहतर है. पीली और लाल शिमला मिर्च औलिगोमेराइज़ड एंथोसाईनिंस की मौजूदगी के कारण हरी शिमला मिर्च से बेहतर है.
पीली और लाल शिमला मिर्च में हरी शिमला मिर्च की तुलना में एंटी ऑक्सीडेन्ट्स की अधिकता पायी जाती है.
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