रिजर्व बैंक ने 24 अप्रैल 2015 को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए दिए जाने वाले ऋण के नियमों में संशोधन करते हुए छोटे किसानों के लिए चरणबद्ध तरीके से कर्ज सुविधा बढ़ाने का प्रावधान किया है.
साथ ही अब विदेशी बैंकों को अगले पांच सालों में कुल ऋण का 40 प्रतिशत प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को देना होगा.
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में 5,000 रुपए तक दी जाने वाली ओवरड्राफ्ट सुविधा को भी प्राथमिकता क्षेत्र का ऋण (पीएसएल) माना जाएगा.
हालांकि यह नियम तभी लागू होगा जब उधार लेने वालों की पारिवारिक सालाना आय ग्रामीण इलाकों में एक लाख रुपए से अधिक न हो और शहरी इलाकों में 1.60 लाख रुपए से अधिक न हो.
आरबीआई ने प्राथमिक क्षेत्र की परिभाषा को और व्यापक करते हुए इसमें मझोले उद्यमों, सामाजिक ढांचा क्षेत्र एवं अक्षय ऊर्जा को भी शामिल कर लिया है.
साथ ही प्राथमिक क्षेत्र के लिए ऋण का लक्ष्य 40 प्रतिशत पर बनाए रखा है. प्रत्यक्ष और परोक्ष कृषि में भेद खत्म कर दिया गया है अब खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को दिया जाने वाला ऋण कृषि का ही हिस्सा होगा.
कुल बैंक ऋण का आठ प्रतिशत कृषि खंड के भीतर ही छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए निर्धारित किया गया है जिसे चरणबद्ध तरीके से मार्च, 2016 तक 7 प्रतिशत और मार्च, 2017 तक 8 प्रतिशत हासिल करना है. कृषि के लिए कुल लक्ष्य 18 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है. वहीं सूक्ष्म उद्यमों के लिए मार्च, 2016 तक सात प्रतिशत और मार्च, 2017 तक 7.5 प्रतिशत ऋण का लक्ष्य है.
कमजोर तबकों के लिए 10 प्रतिशत ऋण के लक्ष्य में अब भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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