भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Acedamy) के बारे में 11 रोचक तथ्य

किसी भी देश की सुरक्षा में उनके सैनिकों का विशिष्ट महत्व हैl दुनिया के हर देश में सैनिकों को बेहतरीन प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न संस्थाओं का निर्माण किया गया हैl भारत में सेना के अधिकारियों के प्रमुख प्रशिक्षण स्थल का नाम “भारतीय सैन्य अकादमी” (Indian Military Acedamy) हैl हिमालय की गोद में उत्तराखंड के देहरादून शहर में लगभग 1400 एकड़ में स्थित इस संस्थान से हर वर्ष देश के बेहतरीन अफसर प्रशिक्षण प्राप्त करके उत्तीर्ण होते हैंl इस लेख में हम “भारतीय सैन्य अकादमी” से जुड़े 11 ऐसे तथ्यों का विवरण दे रहे हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगेl

Mar 6, 2017, 12:19 IST

किसी भी देश की सुरक्षा में उनके सैनिकों का विशिष्ट महत्व हैl दुनिया के हर देश में सैनिकों को बेहतरीन प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न संस्थाओं का निर्माण किया गया हैl भारत में सेना के अधिकारियों के प्रमुख प्रशिक्षण स्थल का नाम “भारतीय सैन्य अकादमी” (Indian Military Acedamy) हैl हिमालय की गोद में उत्तराखंड के देहरादून शहर में लगभग 1400 एकड़ में स्थित इस संस्थान से हर वर्ष देश के बेहतरीन अफसर प्रशिक्षण प्राप्त करके उत्तीर्ण होते हैंl इस लेख में हम “भारतीय सैन्य अकादमी” से जुड़े 11 ऐसे तथ्यों का विवरण दे रहे हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगेl
 IMA campus
Image source: SSBCrack
1. 1930 में लन्दन में हुए गोलमेज सम्मलेन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सिफारिश के आधार पर ब्रिटिश शासन ने ब्रिटेन के सैंडहर्स्ट में स्थित रॉयल मिलिट्री एकेडमी के समान भारत में सैनिक स्कूल स्थापित करने के लिए तत्कालीन भारतीय कमान्डर-इन-चीफ फील्ड मार्शल सर फिलिप शेत्वुड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया थाl इसी समिति की सिफारिश पर 1 अक्टूबर 1932 को देहरादून में “भारतीय सैन्य अकादमी (IMA)” की स्थापना की गई थीl
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2. 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) के पहले बैच में केवल 40 छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया था और उस समय प्रशिक्षण अवधि 2 साल का होता थाl 1934 में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से उत्तीर्ण 40 छात्रों को पायनियर्स (Pioneers) कहा जाता हैl
 indian military academy cadets
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3. पहले बैच से उत्तीर्ण 40 पायनियर्सों में “फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ”, “जेनरल मोहम्मद मूसा” और “लेफ्टिनेंट जेनरल स्मिथ डन” भी शामिल थे जो बाद में क्रमशः भारत, पाकिस्तान और बर्मा के थलसेना प्रमुख बनेl फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ भारत के आठवें थलसेना प्रमुख थे और उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थीl
 manek shaw musa smith dun
4. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस अकादमी में प्रशिक्षण का सत्र दो साल से कम करके 6 महीने कर दिया गयाl इस दौरान इस अकादमी में 3,887 अफसरों को प्रशिक्षण दिया गया थाl
5. अभी तक इस अकादमी से 50,000 से अधिक विदेशी अफसर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और विश्व के विभिन्न देशों की सेना में काम कर रहे हैं या कर चुके हैंl भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के अलावा अंगोला, अफगानिस्तान, भूटान, बर्मा, घाना, इराक, जमैका, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मलेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, फिलीपिंस, सिंगापुर, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, तंजानिया, टोंगा, युगांडा, यमन और जाम्बिया देश के अफसर इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैंl
6. भारत की आजादी के बाद हर वह युद्ध जिसमें भारत शामिल था उसमें भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से उत्तीर्ण अफसरों ने हिस्सा लिया हैl इस अकादमी से उत्तीर्ण छह भारतीय सैनिक मेजर सोमनाथ शर्मा (मरणोपरांत), कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया (मरणोपरांत), लेफ्टिनेंट कर्नल होशियार सिंह, सेकेण्ड लेफ्टिनेंट अरूण खेत्रपाल (मरणोपरांत), कैप्टन विक्रम बत्रा (मरणोपरांत) और कैप्टन मनोज पांडे (मरणोपरांत) को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका हैl
 paramveer chakra winner
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7. 1976 में फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा, जेनरल के.एस. थिमैय्या, फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ और लेफ्टिनेंट जेनरल परमिंदर सिंह भगत से सम्मान में अकादमी के चारों प्रशिक्षण बटालियनों का नाम क्रमशः करियप्पा बटालियन, थिमैय्या बटालियन, मानेकशॉ बटालियन और भगत बटालियन रखा गया थाl वर्तमान में इस चारों बटालियनों के अंतर्गत कुल 15 कम्पनियां कार्यरत हैंl
8. भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) के कैम्पस के अन्दर एक युद्ध स्मारक स्थल बनाया गया है जहाँ सेना के शहीद अफसरों को श्रद्धांजलि दी जाती हैl इस संस्थान का मुख्य सिद्धांत वीरता और विवेक है और यह इसके ध्वज पर भी अंकित हैl भारतीय सैन्य अकादमी के प्रतीक चिन्ह में लाल और ग्रे रंग के मिश्रण का उपयोग किया गया हैl
9. भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) का नाम समय-समय पर बदलता रहा हैl 1949 में "भारतीय सैन्य अकादमी" का नाम बदलकर "सशस्त्र बल अकादमी" रखा गयाl 1950 में इसका नाम बदलकर "राष्ट्रीय रक्षा अकादमी" रखा गयाl 1954 में इसका नाम "मिलिट्री कॉलेज" रखा गयाl 1960 में पुनः इस संस्थान का नाम "भारतीय सैन्य अकादमी" रखा गया, तब से इस संस्थान को "भारतीय सैन्य अकादमी" के नाम से ही जाना जाता हैl
10. हर साल अकादमी में प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान एक परेड की जाती है, जिसमे सेना का “Sword Of Honour” उस कैडेट के हाथ में होता है, जिसे उस साल का सर्वश्रेष्ठ कैडेट चुना जाता हैl इस दौरान उत्तीर्ण होने वाले सभी कैडेट को देश की रक्षा की पवित्र कसम भी दिलाई जाती हैl
11. दीप्ति भल्ला और कुणाल वर्मा द्वारा निर्मित वृत्तचित्र (documentary) “मेकिंग ऑफ ए वारीयर” में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की संस्कृति, परंपराओं और प्रशिक्षण अवधि को दिखाया गया हैl ऋतिक रोशन द्वारा अभिनीत फ़िल्म “लक्ष्य” के कुछ दृश्य इस अकादमी के कैम्पस में शूट किये गये थेl
 lakshya film
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अंत में हम कह सकते हैं कि योद्धा पैदा नहीं होते हैं बल्कि उन्हें भारतीय सेना के द्वारा तैयार किया जाता हैl यह सैन्य प्रशिक्षण संस्थान देश के ही नहीं बल्कि विश्व के महान संस्थानों में से एक हैl
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Education Desk

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