ब्रिटिश हाईकोर्ट ने ब्रेक्सिट पर रोक लगाई

ब्रिटिश हाई कोर्ट के इस निर्णय से ब्रिटेन द्वारा यूरोपियन यूनियन छोड़ने की योजना को गहरा झटका लगा है. अब ब्रिटेन को यूरोपीयन यूनियन से जाने से पहले पार्लियामेंट में वोटिंग करानी होगी.

Nov 4, 2016, 11:05 IST

ब्रिटिश हाईकोर्ट ने 3 नवम्बर 2016 को यह फैसला सुनाया कि सरकार यूरोपियन यूनियन संधि के अनुच्छेद 50 का उल्लंघन नहीं कर सकती. इस फैसले के अनुसार प्रधानमंत्री थेरेसा मेय पार्लियामेंट की अनुमति के बिना ब्रेक्सिट प्रक्रिया आरंभ नहीं कर सकतीं.

हाई कोर्ट के इस निर्णय से ब्रिटेन द्वारा यूरोपियन यूनियन छोड़ने की योजना को गहरा झटका लगा है. अब ब्रिटेन को यूरोपीयन यूनियन से जाने से पहले पार्लियामेंट में वोटिंग करानी होगी.

हाई कोर्ट ने यह फैसला कुछ ब्रिटिश नागरिकों द्वारा ब्रेक्सिट के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुनाया. इस निर्णय से सरकार एवं पार्लियामेंट के मध्य शक्ति संतुलन के संवैधानिक मतभेद का भी पता चलता है.

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मेय ने कहा कि वे अनुच्छेद 50 के लिए सदियों से चली आ रही ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शाही शक्तियों का प्रयोग करेंगी. यह शक्तियां साधारणतः राजा में निहित होती हैं लेकिन फ़िलहाल सांसदों द्वारा अंतरराष्ट्रीय संधियों के संबंध में प्रयोग की जाती हैं.

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सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने कहा है कि हाई कोर्ट के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. यह भी कहा गया कि इस फैसले से ब्रेक्सिट की पूरी प्रक्रिया प्रभावित होगी. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिसम्बर 2016 में सरकार की याचिका पर सुनवाई की जाएगी.

ब्रेक्सिट सचिव, डेविड डेविस के अनुसार 17.4 मिलियन लोगों ने ब्रेक्सिट के पक्ष में मत देकर सरकार को यूरोपियन यूनियन छोड़ने के लिए अधिकार दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका रद्द होने की स्थिति में


यदि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की याचिका रद्द कर दी जाती है तो प्रधानमंत्री को पार्लियामेंट में मतदान कराना होगा. इसमें जो भी निर्णय होगा उन्हें वह मान्य होगा. वर्तमान में उनके पास केवल 15 सांसदों की सहमति की आशंका जताई जा रही है.

ब्रेक्सिट जनमत संग्रह


ब्रिटेन की जनता द्वारा 24 जून 2016 को हुए जनमत संग्रह में यूरोपियन यूनियन (ईयू) छोड़ने के पक्ष में मतदान किया. इस जनमत संग्रह में यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में 51.9 प्रतिशत लोगों ने वोट किया जबकि यूरोपियन यूनियन के साथ बने रहने के लिए 48.1 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले. जनमत संग्रह में भाग लेने वाले लोगों की संख्या वर्ष 2015 में हुए आम चुनावों की संख्या से भी अधिक थी.  

उत्तरी आयरलैंड, लंदन एवं स्कॉटलैंड ने यूरोपियन यूनियन के साथ बने रहने के लिए मतदान किया जबकि वेल्स एवं इंग्लिश शायर्स ने यूरोपियन यूनियन छोड़ने पर सहमति जताई.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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